दुनिया भर मा 8 मार्च का अर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप मा मनावा जात है। पै अगर कर्वी बांदा जइसे शहर के भी बात करैं तौ हेंया इनतान के केतनी औरतैं हैं जउन या दिन क बारे मा जानत होइहैं।
महिला दिवस का नाम आउतै महिला हिंसा या फेर उनके हक अउर अधिकार के बात दिमाग मा चलैं लागत है। काहे से उनके आजादी, हक, अधिकार अउर सम्मान खातिर एकजुट होइके महिला हिंसा के खिलाफ एक जंग छेडब है। या बात का एहसास महिला दिवस मा रिपोर्टिंग करैं के बाद पता चला। महिला दिवस के बारे मा जानकारी राखब हम सबका अधिकार बनत है। कहा गा है कि जउनतान मनसवन का सरकारी या प्राइवेट नौकरी का काम करैं का समय आठ घण्टा है वहैतान औरतन का भी आठ घण्टा काम करैं का हक है। या बात सिर्फ अउर सिर्फ नौकरी पेशा करैं वालेन तक सीमित है।
या दिवस मनावैं के आपन आपन तरीका हैं, पै उंई औरतन से का मतलब जउन या दिन के नाम सुनैं से भी बहुतै दूर हैं। हम बात करित है गांव कस्बा अउर छोट शहरन के, जहां या दिवस के कउनौ मायने निहाय। औरतैं हमेशा के जइसे अट्ठारह से बीस घण्टा काम करत हैं। चाहे घर होय या परदेश। खेत होय या मजदूरी, उनका भी या दिवस मनावैं के जानकारी होय का चाही जेहिसे उंई जिन्दगी मा कम से कम एक दिन सुकून के साथै आजादी का दिन मना सकैं।
या आजादी के दिन के बारे मा प्रचार करैं अउर ज्यादा से ज्यादा औरतन तक पहुंचावैं का काम हम सब का होय का चाही। या काम के उपाय अउर तरीका ढूढ़ब भी हमार जिम्मेदारी होय का चाही।
केहिके खातिर अर्तराष्ट्रीय महिला दिवस
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