सरकार को चलाओ गओ अभियान नाकाम होत नजर आउत हे काय से आज भी गांव के आधी आबादी के आदमी बाहर खुले मैदान में शौचालय करन जात हे। जीसे केऊ तरह की बिमारी को आदमी शिकार हो जात हे। ऊसे गांव की दिवारन ओर बोर्डन में शौचालय के नारा लिखे रहत हे। बहू बेटिया दूर न जाये, घर में ही शौचालय बनवाये। पे अगर गांव की हकीकत जानी जाये तो कछू ओर हे। घडुआ गांव के वोटर पांच सौ हे ओर शौचालय पचहत्तर आये हे। जोन पचीस प्रतिशत आदमियन खा भी नई मिले हे। ओर आदमी खा बिना मदूरी के दो वक्त की रोटी मुश्किल परत हे। ऊ शौचालय किते से बनवा पेहे।
हम बात करत हे कि सरकार द्वारा चलाई गई अभियान को, का कारन हे कि पूरी तरहा से सफल नई हो पाई हे। जीसे आदमियन खा आज भी बाहर ही शौच के लाने जाने परत हे। ईखो कारन हे की कोनऊ भी योजना लागू कर दई जात हे पे ऊखे पलट के नई देखो जात हे। जीसे नाम के लाने गिने चुने आदमियन खा ऊखो लाभ दे दओ जात हे। बाकी बीच में खत्म हो जात हे। ऊ भी देखायें के लाने। परसाहा गांव में आज भी गड्ढा खुदे परे हे। का गड्ढा खुदे भर से शौचाल बन गओ? घण्डुआ गांव के आदमी कहत हे कि एक मीटर की गहराई को गड्ढा बनवाओ जात हे।
सवाल जा उठत हे कि जीखे चार आदमियन को परिवार हे। ऊखो शौचालय कित्ते दिन चलहे? जभे सरकार के एते बजट की कमी रहत हे तो इक्टठा काय योजना लागू करत हे। नाम के लाने जा अधिकारियन के लाने। काय से एसो होंय से आदमी हर योजना में ध्यान नई देत हे। जीसे अधिकारी भी मौके को फायदा उठा लेत हे।
अगर सरकार कोनऊ योजना लागू करत हे तो ऊखे पलट के देखे खा चाही? तभई कोनऊ काम में सफलता मिलहे।