मिड् डे मील स्कूल मा बनवावै कै व्यवस्था अउर योजना तौ सरकार लागू कै देहे बाय। खाना जवन स्कूल मा बनाथै वहमा कउनौ गुणवत्ता, पौश्टिकता नाय रहत।
फैजाबाद, अम्बेडकर नगर के कइयौ जिला मा अब तक खाना नाय बनत रहा लकिन अब कहूं कहूं बनहिव लाग तौ अच्छा खाना नाय बनत। अम्बेडकरनगर के कटेहरी ब्लाक गांव बेनीगद्दौपुर इण्टर कालेज मा दुई सौ लडि़कन के बीच मा एक किलो आलू कै सब्जी पानी कै मात्रा बढ़ायके बनाथै। अउर नियम के अनुसार खाना नाय बनत। जबकि सरकार मिड डे मील की ताई करोड़न रुपया भेजा थै।
अब सवाल ई उठाथै कि अगर सरकार यतना बजट भेजाथै तौ ऊ कहां जाथै जेसे बच्चन का ठीक खाना नाय दै जाथै। जिला मा बैठे अधिकारिन का जांच करै का चाही? जब तक जिला मा बैठे अधिकारी कउनव योजना कै देखरेख या जांच न करिहैं तौ समस्या एैसन बनीं रहे अउर सुधरे न। अगर सरकार यतना बजट भेजाथै तौ अधिकारिन से जवाब मांगै का चाही। यकै देखरेख अउर जिम्मेदारी केकै बाय? जब नियम लाग बाय तौ आखिर कब तक गेदहरै भूखे पेट पढ़ाई करिहैं? अउर अधिकारी लोग हाथ पै हाथ धरे काहे बैठा अहै?
केकै बाय जिम्मेदारी
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