जिला बाराबंकी, तहसील हुसैनगंज, गांव भुलभुलिया पुरवा। यहां के पैंतिस वर्षीय किसान आशाराम गौतम ने 25 अप्रैल को डी.एम. कार्यालय के सामने पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसकी लाश के पास से एक चिट्ठी मिली, जिसमें लिखा था कि कर्ज के कारण आत्महत्या कर रहा हूं। डी.एम. कार्यालय की तरफ से सात लाख का चेक दे दिया गया है।
आशाराम की पत्नी गीता देवी ने बताया के मेरे पति पहले सफाई कर्मी थे। लेकिन मेरे ससुर की तबियत ठीक न रहने के कारण उन्होंने 2012 में नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने वाले साल ही ससुर की भी मौत हो गई। कर्ज के बारे में मुझसे कभी कुछ नहीं बताया। हमारे दो बेटे हैं। एक दस साल का और दूसरा चैदह साल का। 25 अप्रैल को भी सुबह साढ़े सात बजे वह मुझसे यह कहकर गए थे कि बैंक जा रहा हूं। हमारे पास साढ़े छह बीघा खेती थी। मगर अब साढ़े चार बीघे ही बची है। दो बीघा उन्होंने बेच दी थी।
उधर आशाराम के दोस्त फतेहगंज में रहने वाले विजय कुमार ने बताया कि तीन साल पहले आशाराम को पैसों की जरुरत पड़ी थी तो हमने अपनी सोलह बिसवा जमीन नवीपुर गांव के सुरेश नाम के व्यक्ति के पास रखकर कर्ज लिया था। अब यह कर्ज बढ़कर चार लाख पनचानवे हजार हो गया। हालांकि इस बारे में गीता देवी को कुछ नहीं पता है। विजय या दूसरे कर्ज चुकाने के बारे में जब गीता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब हम कर्ज के बारे में नहीं जानते तो चुकाएंगे क्यों?
एस डी.एम डी. डी. पी. सिंह ने बताया के अभी मामले की जांच चल रही है। कितना और किस-किस का कर्ज है यह पता लगाया जा रहा है।
किसान ने लगाई फांसी
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