जिला बाराबंकी, तहसिल हैदरगंढ़, गांव भुलभुलिया पुरवा। यहां के किसान आशाराम ने 25 अपै्रल को आत्महत्या कर ली थी। पुलिस की जांच में पता चला है कि उसने तीन बैंकों से कर्ज लिया था। मगर एक बैंक का कर्ज चुकाए बगैर दूसरे और फिर तीसरे बैंक ने कैसे कर्ज दे दिया? इसकी जांच चल रही है। पुलिस जांच करेगी कि यह बैंक की गड़बड़ी है या फिर किसी दलाल का कारनामा है।
आशाराम ने विजया बैंक, ग्रामीण बैंक और बैंक आफ इंडिया से और कुछ लोगों से कर्ज लिए थे। पुलिस जांच से पता चला है कि बैंकों से लगभग दस लाख रुपए कर्ज लिया था। अपने दोस्त विजय के खेत को गिरवी रखकर दो लाख रुपए कर्ज लिया था। जो बढ़कर करीब साढ़े चार लाख रुपए हो गया था। विजय ने सुरेश पांडे नाम के एक व्यक्ति के यहां अपने सोलह विसवा खेत गिरवी रखकर यह कर्ज आशाराम को दिलाया था।
अब सुरेश उधार चुकाने के लिए विजय पर दबाव बना रहा था। गांव के लोगों ने बताया कि आशाराम साल 2012 से पहले सफाई कर्मचारी था। लेकिन काम में लापरवाही बरतने के कारण उसे वहां से निकाल दिया गया था। हालांकि उसने लोगों से यही कहा था कि उसने खुद नौकरी छोड़ी है। उसके पिता प्रधान थे। आशाराम शराब भी पीता था। उसकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब नहीं थी। मगर उसकी शराब की लत में सब कुछ बर्बाद हो गया।
पिता की बीमारी का इलाज और नौकरी छूट जाने के कारण उसने कर्ज लेना शुरू किया। पुलिस जांच के दौरान पता चला कि उसने तीन बैंकों से कर्ज लिया था।
हैदर गढ़ कोतवाली के इंस्पेक्टर शशिकांत मिश्रा ने बताया कि आशाराम ने चिट्ठी में लिखा था कि बैंक और कर्ज देने वाले लोग उन पर कर्ज चुकाने का दबावा डाल रहे थे। अब तक की जांच में यही पता चला है कि एक जगह से लिए कर्ज को चुकाने के लिए ही उसने दूसरी जगह से कर्ज लिया। तीन बैंकों से कर्ज लेने का कारण भी यही था। मगर तीन बैंकों ने बिना पहले बैंक का कर्ज चुकाए इसे कर्ज दिया कैसे? अब इसी पर जांच चल रही है। आशाराम की पत्नी ने कहा था कि उसने खुद नौकरी छोड़ी थी। लेकिन जब हमने पता लगाया तो पता चला कि उसे काम में लापरवाही बरतने के कारण निकाला गया था। उसके पास आमदनी का जरिया नहीं बचा था। अब ये मामला बाराबंकी के नगर थाने को सौंप दिया गया हैं।