उत्तर प्रदेश का किसान हमेशा ही परेशान रहत हवै कत्तौ सूखा परत हवै तौ कत्तौ बेमोसम बारिस जइसे के समसया से किसान जूझत रहत हवै। किसानन के खेती एक जुंआ के समान होत हवै। अगर नींक फसल भे तौ चांदी चांदी नहीं तौ साल भर खाये के समस्या का किसान झेलत हवंै।
केन्द्र सरकार होय या फेर राज्य सरकार तौ बस या कहि देत हवै कि किसानन का सूखा राहत अउर बर्बाद फसल का मुआवजा दीन जई।
अब मुआवजा के ही अगर बात कीन जाये तौ 28 फरवरी 2015 से एक महीना लगातार बराबर बेमौसम बारिस होय से किसान अबै तक मुआवजा खातिर तहसील अउर अधिकारिन के चक्कर लगावत हवैं, पै अबै तक हजारन किसानन का मुआवजा नहीं मिला आय।
सरकार या बात काहे नहीं सोचत हवै कि जबै किसान खुश न रही तौ आम जनता का खुशी कसत मिल सकत हवै। सकरार जउन मुआवजा देत भी हवै। वा तौ सब्जी मा नून के बराबर रहत हवै। उनका बीज अउर पानी का भी रुपिया नहीं निकर पावत हवै। यहिसे जरुरी बात या सउहें आवत हवै कि सरकार सबसे पहिले किसान के समस्या का खतम करै खातिर ध्यान दे नहीं तौ आम जनता अउर किसान दूनौ समस्या मा घिरे रहिहंै।