2005 मा ‘शिक्षा का अधिकार कानून’ के तहत मिड्डेमील लागू कीन गा। मिड्डेमील के तहत स्कूल के प्राथमिक अउर पूर्व माध्यमिक विद्यालय मा हफ्ता के सातों दिन अलग-अलग तान का पोषण युक्त खाना दें का नियम हवै। सरकार के नीति रहै के या व्यवस्था से बच्चन के कुपोषण का दूर करैं मा मदद मिली। मिड्डेमील बनैं खातिर अनाज तौ अउतै हवै, पै साथै कनवर्जन कास्ट का रूपिया भी आवत हवै। जेहिमा अनाज के अलावा खाना मा इस्तेमाल होय वाली जीचैं खरीदी जात हैं। अब मामला या चलत हवै कि ज्यादातर स्कूलन मा मिड्डेमील मा सिर्फ हल्दी, नमक, चावल का तहरी कहिके दीन जात हवै। का या तहरी से बच्चन के स्वास्थ्य अउर पोषण मा सुधार होई सकत हवै? या समय पिछले छह महीना से बांदा अउर चित्रकूट जिला के सरकारी स्कूलन मा मिड्डेमील के नाम सिर्फ चावल दीन जात हवैं। काहे से मास्टरन के कहैं के हिसाब से पिछले छह महीना से कनवर्जन कास्ट का रूपिया नहीं आवा आय। मान लीन जाय कि रूपिया नहीं आवा तौ का या रूपिया दीन ही न जई। भले देर से आवै पै बजट तौ पूरा ही मिली। फिर काहे मीनू के हिसाब से खाना न दें का बहाना सिर्फ कनवर्जन कास्ट न आवैं का बतावा जात हवै। जबैकि वहिके पीछे का राज कुछ अउर हवै। या मामला शिक्षा विभाग से छिपा नहीं आय। यहिके पीछे मास्टरन के नजर मा मिड्डेमील मीनू के हिसाब से बनैं या न बनैं कउनौ फरक परैं वाला नहीं आय। मिड्डेमील मीनू के हिसाब से न बनी तौ यहिकर सीधा असर बच्चन के स्वास्थ्य अउर पोषण मा परत हवै। बांदा अउर चित्रकूट जिला मा 3 नवम्बर का कनवर्जन कास्ट का रूपिया आ गा हवै। रूपिया आवैं के बाद का या गारन्टी हवै कि मीनू के हिसाब से खाना बनी?
का मीनू के हिसाब से अब बनी मिड्डेमील
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