बेमौसम बरसात अउर ओला पड़ै से बरबाद किसान अब भुखमरी के कगार मा आ गे हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश माना जात है, पै कइयौ सालन से लगातार बुन्देलखण्ड इलाका मा कतौ सूखा तौ कतौ बाढ़ अउर बेमौसम बारिश से अकाल के नउमत आ जात है। बरबाद फसल के सदमा से किसान आत्म हत्या करंै का मजबूर हंै।
एक महीना के भीतर चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर अउर बांदा के पंाच किसान आत्महत्या कई चुके हंै। कइयौ किसानन का या भी सदमा लाग है कि अबै तक सरकार मुआवजा के कउनौ प्रक्रिया शुरू नहीं करिस है।
मुआवजा के नाम से पिछले साल के भे नुकसान का मुआवजा सरकार आज तक नहीं चुका पाइस तौ या साल के मुआवजा का किसान कसत भरोसा करैं? पिछले साल का करोड़न के बजट मा आवा मुआवजा का जिला के अधिकारी आपस मा बांट के आपन घर भरिन हंै। अगर कउनौ का मुआवजा मिला भी है तौ ढाई सौ तौ कउनौ का पंाच सौ रूपिया।
सरकार से अगर मदद मिलत भी है तौ उनके साथ मा जिला प्रशासन से पूर लाभ नहीं मिलत है। या तौ लेखपाल सर्वे के सही रिपोर्ट नहीं भेजत या फेर रूपिया लइके मनमुताबिक रिपोर्ट बनाई जात है। इनतान के धांधलेगर्दी से किसान बहुतै टूट चुके हैं।
सरकार का चाही कि नुकसान के हिसाब से मुआवजा के व्यवस्था करंै। सर्वे के प्रक्रिया का अउर मजबूत अउर ठोस बनावंै के जरूरत है। सरकार का अन्दाजा है कि हर साल कउनौ न कउनौ कारन से बुन्देलखण्ड के किसानन का फसल बर्बादी का सामना करैं का परत है तौ फेर किसानन का मुआवजा खातिर लम्बा इंतजार काहे करंै का परत है?
का मिल पाई फसल बरबादी का मुआवजा
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