जहां एकतरफ मेहरारू लइकिन पुरूष के साथे कन्धा से कन्धा मिला के चलत हईन। त वहीं दूसरी तरफ लइकिन के हर तरफ से मजबूर करके तोड़ देवल जात हव। आज के जमाने में त मेहरारू जमीन से लेके आसमान तक आपन नाम कइले हईन। लेकिन अभहीं बहुत जगह अइसन हव। जहां लअकिन के पैदा नाहीं होवे देवल जात हव। अगर कहीं पैदा हो भी जात हईन त ओके मार देवल जात हव।
अभहीं हाल ही में तिलमापुर के प्रसून हास्पीटल के पीछे नवजात षिषु के लाष लाल कपड़ा से लपेटल मिलल। ओकर रूमाल से गला दबा देवल गएल रहल। उ लाष एक लइकी के रहल। आखिर ओकर का कसूर रहल कि उ दुनिया भी नाहीं देखलेस आउर ओकर हत्या भी कर देवल गएल। अगर लइकिन पढ़ लिख के बड़ी होत हईन त बाद में ओकरे साथ छेड़खानी से लेके बलात्कार तक होत हव। इ सब आय दिन बढ़ल जात हव। इ सब के वजह आखिर का हव। इ सब के बढ़ावा देवे में कहीं न कहीं कानून ढीला पड़त हव। आखिर कब तक मेहरारू लइकी इ सब झेलियन। सरकार के तरफ से कब मेहरारू लइकी खातिर के एक सख्त कानून बनी।
का कसूर हव?
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