जिला बांदा, ब्लॉक तिंदवारी, गांव गुगौली, 23 दिसम्बर 2016। गुगौली गांव में जुलाई के महीने में रेशम विभाग की तरफ से आए एक व्यक्ति ने ग्रामीणों को रेशम उद्योग की जानकारी दी, जिसके अन्तर्गत गांव के लोगों को दो हजार रुपये जमा करने पर रेशम के अंडे देने की बात कही गई थी। गांव के 24 व्यक्तियों ने पैसे जमा कर दिए, पर उनमें से 14 लोगों को रेशम के अंडे दिए गए, जिनमें से कीड़े नहीं निकले, जबकि 20 लोगों को अंडे दिए भी नहीं गए। लोगों ने रेशम के कीड़ों को खिलाने के लिए खेतों में अरांडी की फसल लगा दी है। अब लोग इन खेतों में दूसरी फसल भी नहीं लगा सकते हैं और न ही उनका रेशम उद्योग चल रहा है।
यत्रनाथ मिश्रा, 57, ने 200 रुपये देकर रेशम के अंडे खरीदे थे, पर आज उनके ये पैसे डूब गए हैं। वह कहते हैं, “मुझे राहुल नाम का एक युवक तहसील में मिला, जिसनें मुझे रेशम विभाग की इस योजना से जुड़ने को कहा था। आज मेरे पास पैसे देने का कोई सबूत नहीं हैं।” लोगों का आरोप हैं कि उस व्यक्ति ने फार्म ऑनलाइन भरने की बात कही थी, इसलिए इन लोगों के पास कोई लिखित सबूत भी नहीं हैं।
अम्बिका प्रसाद कहते हैं, “मुझे अंड़े और रेशम के कीड़े रखने के लिए मशीने देने की बात कही गई थी। साथ में हर एक महीने में 3 किलो रेशम पैदा करने की बात भी। पर मुझे कुछ भी नहीं मिला।” अम्बिका प्रसाद अब अपने पैसे लौटाने या फिर सामान देने की मांग कर रहे हैं।
इस ही गांव के रघुराज, 69, ने उधार लेकर इस योजना में पैसे लगाए थे। पर आज इस योजना के बेकार होने पर वह दुखी हैं। वह कहते हैं, “मुझे भी राहुल नाम के एक युवक ने इस योजना के बारे में बताया था। उसने रेशम की कीमत 22 सौ किलो बताई थी। जिस कारण से मैंने इस योजना में पैसे लगाए थे।”
गांव के लोगों द्वारा रेशम विभाग पर उनके पैसे खाने के आरोप लगाने पर जब रेशम विभाग के अनुरक्षक गजानंद सिंह से बात हुई तो उन्होंने कहा “हमारे यहां से कोई कर्मचारी वहां नहीं गया। हमारे यहां सिर्फ दो फीड स्टाफ है और वे उस गांव में नहीं गए।” उन्हें राहुल नाम के किसी कर्मचारी के वहां काम करने की बात भी नकार दी।
अब लोगों का पैसा धोखाधड़ी का शिकार हो चुका है। वे राहुल नाम के उस युवक को रेशम विभाग का कह रहे हैं, वहीं रेशम विभाग अपने यहां इस तरह के किसी व्यक्ति के होने की बात से इंकार कर रहे हैं।
रिपोर्टर- मीरा देवी और शिव देवी
21/12/2016 को प्रकाशित