जिला महोबा, गांव सिचनौर आज भी बुंदेलखंड में आदमी पुरानी परम्परा को मानत हे। और अपने बड़े बुजुर्ग के संस्कार अपनात। एसे ही सिचनौर गांव में एक एसो पेड़ हे जिए सब आदमी कल्पवृक्ष के नाम से जानत।
आदमियन को मानबो हे के कल्पवृक्ष की पूजा करबे से मन की मुरादे पूरी होती। अगर कोनऊ दुःख तकलीफ होत तो सच्चे मन से पूजा करो तो सब दूर हो जाती।
पहले सब आदमी जा पेड़ को दक्षिण अमली के नाम से जानत ते जब कल्पनाए पूरी होन लगी ती सो कल्पवृक्ष के नाम से जानन लगे
सब आदमी जा पेड़ की शान में पिछले तीन साल से कल्पतरु सम्मेलन भी करवात जी को आयोजन जा साल भी 1 दिसम्बर को भओ। और जा सम्मेलन में एक से एक कवि आत सम्मलेन करबे के लाने।
जा सम्मेलन में दूर दूर से आदमी आत अपनी कला दिखाबे के लाने और बोहतई आदमी देखबे के लाने भी आत। जब आके सब देखत और बिनती करत जब उनकी मनोकामना पूरी हो जात तो सबको विश्वाश हो जात।
और जो कल्पतरु सम्मेलन बड़े धूम धाम से मनाओ जात। एसे ही जा बार भी मनाओ गओ बड़े धूम धाम से और सम्मेलन में सब कवि और गायक भी आय। और पहले के जेसे जा बार भी बोहतई आदमी आय देखबे के लाने।
रिपोर्टर- सुनीता प्रजापति
06/12/2016 को प्रकाशित