बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री की शपथ ले ली है। अब सबकी नजर सरकार बनाने के लिए जरुरी बहुमत की संख्या जुगाड़ पर है। येदियुरप्पा ने बहुमत सिद्ध करने के लिए 15 दिन का समय मांगा था। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में आने के बाद 18 मई की सुनवाई में ये समय कम करके 19 मई के चार बजे तक कर दिया गया है। अब देखना है कि भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार बहुमत साबित कर पाती है या नहीं।
भाजपा 104, कांग्रेस 78, जनता दल-एस 38, बसपा 1 और 2 अन्य पार्टी, कर्नाटक चुनाव का परिणाम रहा, जिसके कारण कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति आ गई है। चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही कांग्रेस ने जनता दल-एस को बिना शर्त समर्थन देने की बात कह दी थी। इस स्थिति में ये गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर रहा था। लेकिन अधिक सीट में जीत के कारण भाजपा को पहले सरकार बनाने का न्योता मिला। इसका उल्टा बड़े गठबंधन के दावे से गोवा, मणिपुर और मेघालय में भाजपा ने सरकार बनाई थी।
राजनीतिक सौदेबाजी से लेकर इस चुनाव में विधायकों की खरीद फरोख्त की खबरों के आरोप भाजपा पर लग रहे हैं। वहीं कांग्रेस और जनता दल -एस ने अपने विधायकों को किसी रिजॉर्ट में रखा है। खबरें तो ये भी हैं कि अभी कांग्रेस और जनता दल- एस के कुछ विधायक लापता हैं। राजनीति में कुछ भी जायज होने की बात तो इस घटनाक्रम से सच साबित हो गई।
अब भाजपा बहुमत जुटाने के लिए कांग्रेस और जनता दल-एस विधायकों में से कुछ इस्तीफा दिलाने होंगे या विश्वास मत के दौरान इन पार्टी के कुछ विधायकों को गैरहाजिर रखेंगे, जिससे विधायकों की कम संख्या में भाजपा आराम से बहुमत सिद्ध कर देगी। हालांकि आरआरएस चाहती थी कि सरकार जनता दल-एस और कांग्रेस गठबंध की बनने दी जाए। आरआरएस को लगता है कि ये सरकार ज्यादा दिन नहीं चलेगी। फिर दुबारा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता। खैर, अब 19 मई को नई सरकार कैसे बहुमत सिद्ध करती है, ये देखना बाकी है।