आज कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं, 48 घंटे पहले सभी राजनीतिक पार्टीयों ने अपना प्रचार खत्म कर दिया है। कुल 224 सीटों पर 2655 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चुनाव की गणना 15 मई को होगी। चुनाव में किसकी जीत होगी ये तो समय ही बताएगा। लेकिन कांग्रेस और भाजपा दोनों पाटियों ने चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगाया है। जहां तक बात कर्नाटक राज्य की जाए तो ये राज्य चुनावी रैलियों में बहकर किसी पार्टी को चुनने वाला राज्य नहीं है। यहां पार्टी से ज्यादा स्थानीय उम्मीदवार और स्थानीय मुद्दे को महत्व दिया जाता है। इसके बावजूद राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी ने अपनी अपनी पार्टी के लिए बढ़- चढ़कर प्रचार रैली की।
इस चुनाव के लिए भाजपा ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार के लिए बीएस येदियुरप्पा को उतरा है। हालांकि आरआरएस की पंसद केन्द्रीय मंत्री अनंत हेगड़े थे। लेकिन मोदी-शाह फैक्टर के चलते ये पंसद दरकिनार कर दी गई। कांग्रेस के उम्मीदवार मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं और वह अपनी अन्न भाग्य, क्षीर भाग्य, साइकिल भाग्य और इंदिरा कैंटीन जैसी योजनाओं के बल पर जनाधार अपनी ओर करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा के उम्मीदवार येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। भाजपा 2014 में भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाकर सतारुढ़ पार्टी को घेर चुकी है, पर कर्नाटक में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाकर पार्टी भ्रष्टाचार का मुद्दा कांग्रेस पार्टी को दे चुकी है। पार्टी की स्थिति को देखें तो पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में जीत के बाद भाजपा मजबूती में थी, लेकिन गोरखपुर और फूलपुर की हार ने पार्टी के हौसले थोड़े कम कर दिए है। अब कर्नाटक को जीतने के लिए पार्टी हिन्दुत्च विचार पर दाव लगा रही है। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी हिन्दू मंदिरों में जाकर इस विचार का लाभ लेने की कोशिश ही कर रहे हैं। पूरा चुनाव नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी की रैलियों पर केन्द्रित रहा, पर मतदाता की नजर मुख्यमंत्री के उम्मीदवार पर है।