पिछले महीना बजट मा मुख्यमंत्री स्वास्थ्य व्यवस्था का नींक बनावै खातिर दुई सौ इक्यानबे करोड़ रुपिया के व्यवस्था करिन हवै। गांवन मा या साल सौ आयुर्वेदिक अस्पताल खोले का कहा गा हवै। पै चित्रकूट के खप्टिहा के सच्चाई कुछौ अउर हवै। हिंया के मड़इन का बतावत हवै कि हिंया न डिलेवरी के सुविधा आय, न मरहम पट्टी होत आय।
रामनाथ का कहब हवै कि बियावल से कम्पाउडर आवत हवै तौ मड़इन के मरहम पट्टी नहीं करत आय। हिंया के नाम से इलाहाबाद के डाक्टर मऊ मा बइठत हवै अउर तनख्वाह लेत हवै। वीरेन्द्र मिश्रा का कहब हवै कि अस्पताल मोर घर से डेढ़ सौ मीटर के दूरी मा हवै, बारह बजे खुलत हवै आधा घंटा के लाने। बुखार अउर सर्दी मा एक जइसे गोली देत हवै, चोट लागे मा कहत हवै हिंया मरहम पट्टी करै वाला डाक्टर नहीं आय। रामराज अउर चिंतामनी का कहब हवै कि सबै दवाई बेंच लेत हवै। टानिक अउर सुई भी बेंच लेत हवै अउर कहत हवै बोला लाव जेहिका बोलावै का होय। आरती तिवारी बताइस कि हिंया डिलेवरी न होय से मड़ई आपन साधन से मरीज लइ जात हवै, काहे से हिंया एम्बुलेंस नहीं आवत।
फार्मेसिस्ट नवनीत सिंह का कहब हवै कि मरीजन का सबै दवाई दीन हवैं अउर पट्टी भी कीन जात हवैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डाक्टर शेखर का कहब हवै कि डाक्टर मर्ज के हिसाब से दवाई देत हवै। हुंवा एक-दुई महीना मा डिलेवरी के सुविधा कइ दीन जई।
रिपोर्टर- सुनीता देवी
published on Mar 13, 2018