जिला बांदा, ब्लाक नरैनी, कसबा अतर्रा जिले के दुसरे नम्बर मा आय दें वाला सन 1887 का बना या अतर्रा रेलवे स्टेशन पान के थूंक से रंगा,जगह जगह गन्दगी, अउर पानी जइसे के समस्यन से जुझत सालन बीत गे हैं। इं समस्यन से निपटैं खातिर रेलवे विभाग कउनौ ध्यान नहीं देत आय।
रेलवे स्टेशन मा बइठ यात्री रमेश, गुलाब अउर नीलम का कहब है कि गाडी के इंतजार मा लोग चार चार घंटा इनतान के गन्दगी भरे रेलवे स्टेशन मा बइठ के बीतावत हैं। जहां यात्रीन के बइठैं का वेटिगं रूम हैं हो एक मा ताला लटकत रहत है तौ दुसरे मा जी.आर.पी. पुलिस का कब्जा है। यहिसे यात्रीन के बइठै के भी कउनौ सुविधा निहाय। राम किशोर का कहब है कि पीयैं वाले पानी के जघा तौ इतनी गन्दगी रहत हैं कि देखत बनत है। वा पानी का देख तौ लागत है कि कतौं भी वा जघा अउर पानी वाली टंकी के सफाई नहीं होत आय। वाहे गन्दा पानी पियैं का लोग मजबूर हैं। जेहिसे बीमारी भी फइल सकत है। पान का थुक तौ इनतान से रंगा हैं मनौं या रंग के पोताई कीन गे होय।
कुछ लोग या भी कहिन कि रेलवे स्टेशन के या दसा देख तौ या लागत है जइसे कि कउनौ अधिकारी अउर करमचारी हेंया रहत ही निहाय। स्टेशन मा जगह जगह बडे बडे गढ्डा भी हैं। जेहिसे कि लोग रात बिरात गिर भी सकत है। इं समस्यन के समाधान खातिर रेलवे विभाग का जल्दी ही ध्यान दें का चाही।
अतर्रा रेलवे स्टेशन का प्रबन्धक ऐ.के. मिश्रा कहत है कि या रेलवे स्टेशन मा करमचारिन के कमी के कारन इं सब समस्यन से जुझैं का परत है जब कि या रेलवे स्टेशन प्रति दिन दुई लाख से ऊपर का आय दें वाला स्टेशन आय। लोगन के मांग से ही सुविधा खातिर जी.आर.पी. पुलिस के व्यवस्था भे रहै, पै उनके रहैं खातिर प्रशासन कइत से आज तक कउनौ व्यवस्था नहीं मिली या मारे यात्री प्रतिक्षलय मा उंई रहत है। कुल दुई सफाई कर्मी हैं वहिमा से उनका काम अउर छुट्टी दुनौ जुडे हैं। पानी अउर बिजली करमचारी बांदा अउर कर्वी से आवत हैं।
करमचारिन के कमी रेलवे स्टेशन मा अव्यावस्था यात्री परेशान
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