अभीक साहा, वेस्ट बंगाल के जल्पैगुरी जिले के स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ते हैं और उत्तरी बंगाल में चल्सा नाम के एक छोटी सी जगह के रहने वाले हैं – इन्होने 15 साल की उम्र में मोबाइल फोन के लिए ऐप्स और सर्च इंजन बनाया है।
कम्प्यूटर विज्ञान में अभीक की रुचि 10 साल की उम्र से ही है और पिछले पाँच सालों में उन्होंने अपना ज्ञान इस विषय पर इतना जोड़ा है कि आज वो अपनी खुद की कम्पनी चलाते हैं– अर्नभिक कॉर्प के नाम से,जो मोबाइल और कम्प्यूटर से जुड़े ऐप्स और ‘सॉफ्टवेर’ बनाती है।
अभीक ने कहा, “मैंने चेन्नई में दो भाइयों कि न्यूज़ सुनी, संजय और श्रवण कुमारन, जिन्होंने2012 में मोबाइल ऐप्स बनाकर सफलता को प्राप्त किया था। मैंने यू ट्यूब पर वीडियोज़ देखकर, इंटरनेट पर क्लासेस वगेहरा से सीखकर, किताबें पढ़कर ऐप्स बनाना शुरू कर दिया।”
नवम्बर2 2015 को अभीक ने अपना पहला गेम (खेल) ऐप्स बनाया‘बरडिंगो’ के नाम से, और इसके बाद लगातार 5 और ऐप्स बनाये, खेल और शिक्षा से जुड़े हुए।
इसके साथ साथ उन्होंने ‘अर्नभीक वेबसाईट बिल्डर’ भी बनाया जिससे लोग बड़ी आसानी से और निशुल्क वेबसाईट बना सकते हैं।
इस साल अभीक ने बहुत सारी उपलब्धियों को प्राप्त किया है – अप्रैल में उन्होंने ‘ग्रीनकल्चर’ ऐप्स का निर्माण किया जो किसानों को बीज, ज़मीन, और तकनीकी न्यूज़ की खबरें बता सकता है।‘रेमिंग गॉड’ नामक एक ऐप्स भी बनाया है अभीक ने जो हमें क्या काम करने है, याद दिला देता है।
अभीक हर रोज़ करीब 2 घंटे पढ़ाई करते हैं सिर्फ कम्प्यूटर विज्ञान पर और कम्प्यूटर की ज़ुबानों में अब वो माहिर है जैसे ‘जावा’, ‘विजुअल बेसिक’, ‘सी++’ वगेहरा। इनकी माँ, शेफाली, स्कूल में अध्यापिका हैं और इनके पिता, अलोक, लकड़ी का व्यापार करते हैं।
चल्सा के युवा पीढ़ी को विज्ञान के बारे में सिखाना इनका सपना है, “मैं चाहता हूँ कि वो सब आगे बढें।” अभीक का ये मानना है कि विज्ञान में उन्नति करने से हर युवक और युविका अब देश और दुनिया में आगे बढ़ सकते हैं।
साभार: यूथ की आवाज़