जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी। महिला समाख्या संस्था में कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर 2012 से हिमानी काम कर रही हैं। ‘लड़कियों का पढ़ाई करना बहुत ज़रूरी है। तभी वो आत्मनिर्भर बन सकती हैं। शादी के बाद भी मैं काम करना चाहती थी। महिला समाख्या में महिलाओं के साथ मिलकर काम करना अच्छा लगता है। गांवों और गरीब तपके की औरतों के साथ में कम्प्यूटर सिखाना, और उनको आगे बढ़ता देख अच्छा लगता है।’ ‘मैं समझती हूं कि सबसे ज्य़ादा हिंसा तो घर के अन्दर होती है। इसलिए लड़कियों को सुरक्षित नहीं, ष्ेिाक्षित और निडर बनाने की ज़रूरत है।’’
जिला बांदा। ‘मुझे बचपन से ही इलेक्ट्रानिक चीज़ें बनाने बिगाडने का षौक था। जब घर की स्थिति अच्छी थी तब पापा से मैंने कम्प्यूटर की मांग की। एम.ए. के बाद मैंने कम्प्यूटर में डिप्लोमा कोर्स किया। फिर तुरन्त यहां नौकरी मिल गई। समाज में लड़कियों की नौकरी रेलवे, स्वास्थ्य विभाग, स्कूलों और बैंकों में ही सुरक्षित मानी जाती है।’ जिले के समाज कल्याण विभाग में 2008 से कम्प्यूटर आॅपरेटर के पद पर नौकरी कर रही हैं ज्योति गुप्ता। विकास भवन के तेइस विभागों में सिर्फ महिला वह भी कम्प्यूटर आपरेटर अकेली ज्योति ही हंै।