सरकार जनता के लाने केऊ तरह के व्यवस्था करत हे जीसे कोनऊ खा परेशानी न होये ज्यादा से ज्यादा होत घटना पे रोक लगाई जा सके। पे ईखी जिम्मेंदारी कोनऊ भी अधिकारी काय नई लेत हे? चाहे ऊ पुलिस प्रशासन हो जा फिर कोनऊ सरकारी अधिकारी।
हम बात करत हे पुलिस प्रशासन की। ई समय महोबा जिला के हर थाना क्षेत्र में मारपीट, छेड़खानी, लूटपाट, हत्या जेसे मामला होत हे। पे पुलिस प्रशासन आपन जिम्मेंदारी से मुह मोड़ लेत हे। फरियादी न्याय के लाने एते ओते भटकत रहत हे ओर अपराधी के हौंसला बुलन्द हो जात हे।
ताजा उदाहरण-महोबकण्ठ थाना क्षेत्र के एक गांव की महिला के साथे बलात्कार भओ हतो जीखो मुकदमा नई लिखो। पीडि़त महिला एस.पी. के चक्कर लगाउत हे। एसई दो महिना पेहले कुलपहाड़ कोतवाली में एक दलित विधवा ओरत के साथे छेड़खानी भई हती जीखो मुकदमा लिखे के बाद अपराधी आज तक नई पकरो हे।
पुलिस प्रशासन जनता खा रिपोर्ट लिखे के जघा छानबीन करें की बात कहके टार देत हे। आखिर पुलिस प्रशासन जनता के साथे एसो काय करत हे। अगर जनता खा खुदई आपन समस्या निपटाने हे जा फिर महिला के साथे हो रहें हिंस्सा खा सहने हे, तो सरकार काय खा जा कानून व्यवस्था बनाउत हे। अगर पुलिस प्रशासन ही जनता के साथे एसो करहे तो फिर जनता किते जेहे। थाना कोतवाली काय बनवाउत हे। आखिर जानता के सुरक्षा की जिम्मेंदारी कीखी आय?
पुलिस प्रशासन ई सब केसन में कोनऊ ठोस कदम काय नई उठाउत हे। पुलिस प्रशासन के लापरवाही के ही इत्ते केस सामने आउत हे। अगर अपराधी के ऊपर कारवाही करें तो जे केस कम हो सकत हे।