जिला वाराणसी। ए समय बनारस में कच्चा घर बाढ़ आउर बारिष से कहीं गिर जात हव त कहीं बह जात हव। लेकिन गाव में कहीं आवास नाहीं मिलत हव। अगर आवास खातिर के कहात हव त का कि बी. पी. एल. में नाम नाहीं हव। अगर कइसो हाथ पैर जोड़त मिले वाला भी रहत भी हव त दस हजार घुस दअ त मिलि नाहीं त नाहीं त ना मिलि। आखिर कहाँ आउर कइसे रहीयन गरीब।
सरकार केकरे खातिर के योजना बनइले हव? अभही हाल ही के बात हव। चोलापुर ब्लाक के देईपंर गंाव के मनकेषरा के जब आवास मिले वाला रहल त ओनसे कुछ घुस पइसा मंगायल। पइसा ना देवे के वजह से उ आवास कोई आउर के दिया गएल।
आखिर काहें? मनकेषरा के त कउनों सहारा भी नाहीं हव। लेकिन नाहीं इ कुर्सी वाले जेके चाहे ओके देवे जेके चाहे आके ना देवे। भले उ केतनो अमीर या केतनो गरीब काहें ना रहे। सरकार त बस कह देला कि फ्री में मिलि लेकिन इ कुर्सी वालन के त जइसे एक उसूल बन गएल हव जे आवास खातिर के घुस देई ओके आवस मिल जे ना देई उ आवास के आसरा देखे। अभहीं बारिष में कई गरीब के घर डूब गएल हव। ना जाने ओनके घर कब मिलि। सब योजना त बन के रखागएल हव। कब मिलि पता नाहीं।
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