जिला वाराणसी, ब्लाक चोलापुर गावं कमना दलित बस्ती। इ बस्ती में लगभग पचास साल महिला के नामिलत हव विधवा पेंशन लगभग आठ महीना विधवा भइले हो गएल हव।
महदेई के कहब हव कि हमके आठ महीना विधवा भइले हो गएल हव। हम कई बार इंहा के प्रधान से कहली कि हमरे पास कउनो सहारा नाहीं हव। हमके विधवा पंेशन के कार्ड बनवा देता। हमके कउनों सहारा भी नाहीं हव। अब लइकन पर के भरोसा करत हव। आज के जमाने में त लइकन सब अपने परिवार के देखे में रह जात हयन। अगर हमके विधवा पेंशन मिले लगत त हमने के कुछ सहारा हो जात। विधवा पेंशन के फार्म भरे खातिर के हम आपन फोटो भी देहली। लेकिन आज के जमाने में गरीबन के कहं सुनवाई होत हव। अब हमरे एतना पैरूख नाहीं हव कि हम काम करी त खाई। पेंशन ही एक सहारा हव लेकिन प्रधान सुनबे नाहीं करतन।
प्रधान धर्मेन्द्र के कहब हव कि लगभग पांच लोग के अक्टूबर 2013 में प्रस्ताव बना के देहले हई। जब वहंा से आई तब मिली। हम भी कोशिश में हई कि एन लोग के कुछ सहारा हो जाए।