अम्बेडकर नगर अउर फैजाबाद जिला मा आंगनबाड़ी केन्द्रन कै खस्ता हाल बाय जेसे बच्चन अउर आंगनबाड़ी कार्यकत्री का परेषानी कै सामना करै का परत बाय। कहूं आंगनबाड़ी केन्द्र बना बाय तौ कहूं दुई तीन किलोमीटर दूर छोट छोट गेदहरन का जाए का पराथै यस आंगनबाड़ी केन्द्र बने कवन फायदा?
अम्बेडकर नगर कटेहरी ब्लाक के षाहपुर, छितनपट्टी जैसे आगनबाड़ी केन्द्रन कै वजन मषीन बिगड़ गै बाय जहां कउनौ षासन-प्रषासन ध्यान नाय दियत अहैं। वजन करै वाली मषीन बिगड़ी पड़ी बाय तौ हुंआ कै सुपरवाइजर का सुधि नाय बाय। दुबारा नया के इन्तजार मा दुई साल बीतगै लकिन न बनके आय न नया आय। यहि तरह से गर्भवती महिलन कै वजन नाय होय पावत बाय। दुसरे केन्द्र से कब तक मांग के काम चलाय जाये। वही दुसरी तरफ सराय बैरीसाल गंाव मा आंगनबाड़ी केन्द्र नाय बाय जेसै हिंआ कै गेदहरेन का दुसरी जगह दुई किलो मीटर पढ़ै जाय का पऱाथै। छोट-छोट गेदहरै कैसे यतनी दूर पढ़ै जइहैं आखिर के यकै जिम्मेदार बाय अगर षासन प्रषासन ध्यान न दे तौ के ध्यान दे? एक तरफ षासन प्रषासन से नियम लागाथै कि कहूं केहू गर्भवती का कउनौ प्रकार कै दिक्कत न हुवय वहीं दूसरी तरफ सुबिधा मिलै के बजाय पैसा वापस विभाग का चला जाथै अउर मनइन का सुबिधा कै लाभ नाय मिल पावत।
कब बने वजन मषीन?
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