जिला वाराणसी, ब्लाक चिरईगाव, सथवा। इ गावं में करीब ढाई सौ मजदूर हयन। जेमे से कुछ मजदूर के कहब हव कि हमने के मनरेगा में काम कइले साल भर से भी ज्यादा हो गएल हव। गावं के प्रधान हमने के काम नाहीं देत हयन।
इ गावं के घनश्याम, पारस, मखना इ सब लोगन के कहब हव कि हमने के मनरेगा में काम कइले करीब साल भर हो गएल हव। अगर अइसे काम होई त हमने के खर्चा कइसे चली। अगर हमने एही के सहारे रहल जाई त हमने के बच्चन के भूखे सुते के पड़ी। खेती बारी भी नाहीं हव कि कुछ सहारा हो जाए। अब तो सब सामान दुकान से खरीदे के पड़त हव। अब अइसने हालत में रोज काम ना करल जाई त हमने केभी परिवार हव। कइसे खर्चा चली। जब हमने प्रधान से कहल जाई कि हमने के काम दे दा। त कहियन कि अच्छा ठीक हव। यही सुनत सुनत साल भर बीत गएल।
इ सब के बारे में गावं के प्रधान सुरसती देवी के कहब हव कि जब कउनों काम नाहीं हव त कउन काम करवाई। जब खड़ण्जा खातिर के 60 प्रतिशत माटी फेकवाइब त 40 प्रतिशत पक्का काम मिली। हम कहाँ से माटी के काम करवाई।
कब तक मिली काम
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