जिला वाराणसी, ब्लाक चोलापुर, गावं गरथौली मुसहर बस्ती। तीन पुस्त से भी ज्यादा इ बस्ती के बसले हो गएल हव। इहां आठ घर हव। लेकिन कोई के पास अभहीं तक रहे खातिर के आवास नाहीं हव। जबकि एन लोग के पास बी. पी. एल. कार्ड आउर पहचान पत्र भी हव। फिर भी एन लोग के पास आवास नाहीं हव।
लालचन, कंचन, गीता, सुदामा कई लोग के कहब हव कि हमने इहां मड़ई लगा के रहल जाला। हमने के बाप दादा भी यहीं रहत रहलन। राशनकार्ड आउर पहचान पत्र रहले के बाद भी हमने के रहे के ठेकान नाहीं हव। पतरी बना के, लकड़ी बेच के आपन परिवार चलाईला। हमने के पास पैसा नाहीं हव कि घर बनवावल जाए। या आवास खातिर घुस देवल जाए। पहिले के प्रधान एकाक दू ठे देहले भी रहलन लेकिन इ प्रधानी में त एको नाहीं मिलल हव।
इ सब के बारे में प्रधान अरविन्द सिंह के कहब हव कि मार्च 2013 में 150 आवस खातिर के प्रस्ताव देहले हई जब आई त दे देब। चार महीना बीत गएल लेकिन कउनों सुनवाई नाहीं भयल।