जिला चित्रकूट, ब्लाक मानिकपुर, गांव चुरेह केशरूवा। हिंया तीस बरस से आठ किलो मीटर सड़क खराब हवै। या कारन रोजै का लगभग सैकड़न मड़ई परेशान होत हवै। सड़क बनावै खातिर कइयौ दरकी प्रधान भोली देवी से कहा गा, पै कउनौ ध्यान नहीं दीन गा।
प्रधान भोली देवी का कहब हवै कि सड़क मोरे बस के नहीं आय। मैं वा सड़क नहीं बनवा सकत हौं। वा सडक विधायक निधि से बनी। मानिकपुर के विधायक चन्द्रभान सिंह पटेल का कहब हवै कि सड़क बनावै खातिर बजट नहीं आय, पै लोक सभा चुनाव होय के पहिले सड़क बनवा दीन जई। गांव के रामलली, करन अउर भोला प्रसाद समेत दस मड़इन का कहब हवै कि सड़क खराब होय के कारन परेशानी होत हवै। साइकिल तक नहीं निकार पाइत हन। अगर कउनौ के तबियत खराब होइ जात हवै तौ इलाज करावैं नहीं लइ जा पाइत हन। अगर सड़क बन जाये तौ इं सबै समस्या से न जूझै का परै।
कइयौतान के मेहनत
जिला वाराणसी, ब्लाक काशी विद्यापीठ, गांव अकेलवां सजोई। हिंया मुशहर जाति के पचास घर हवैं। इं सबै भीख मांग के अउर लकड़ी पत्ता बेंच के अपना परिवार चलावत हवै। दूसर जाति के मड़ई छुआछूत मानत हवैं।
हिंया के बेइला, रमदेई समदेइ अउर गीता कहिन कि भीख मांगित हन। हमरे मनसवन का भीख मांगै मा शर्म आवत हवै। दिन भर भीख मांगित हन फेर शाम के घर मा खाना बनाइत हन। पहिले अपने मनसवन का खवाइत हन, फेर हम खाइत हन। गांव वाले छूत मानत हवै। सरकारी योजना का कउनौ लाभ नहीं मिलत आय।
जिला निर्देशक इन्द्रदेव का कहब हवै कि दुइ महीना बाद सर्वे होइ। सर्वे के बाद आवास मिली।