जिला सोनभद्र। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में कन्हार बांध बनाया जा रहा है। इस बांध का असर छत्तीसगढ़, उड़ीसा, और झारखंड के करीब सत्तासी गांवों पर पडेगा। यहां रहने वाले ज़्यादातर आदिवासी हैं। यह लोग इसके विरोध में उतर आए हैं। विरोध कर रहे गांव के लोगों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण गैर कानूनी तरह से हो रही है।
इन लोग बांध निर्माण वाली जगह सुंदरी गांव में 14 अप्रैल से विरोध शुरू किया। पुलिस ने उन पर गोलियां चलाईं जिसमें नौ लोग बुरी तरह घायल हुए। पुलिस का कहना है कि विरोध करने वालों ने पुलिस पर हमला किया था उसके जवाब में गोली चलानी पड़ीं जबकि ग्रामीणों का कहना है कि वह शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे।
ज़मीनी तथ्यों का पता लगाने की टीम को लोगों से मिलने पर रोक लगाने की कोशिश की गई। इसमें निरंतर संस्था की पूर्णिमा, आइडवा राजनीतिक दल की कविता कृष्णन और दो पत्रकार थे। पुलिस ने भी इस टीम के लोगों से घंटों पूछताछ की और टीम को दिल्ली लौटना पड़ा।
क्यों हो रहा विरोध
ग्रामीणों का कहना है कि यह बांध पच्चीस सौ हेक्टेयर ज़्ामीन पर बने जंगल और सत्तासी गांवों को बर्बाद कर देगा।
कन्हार बांध विरोध समिति के अनुसार भूइनस, खरवार, गोंडा, चेरोस और पनिकस आदिवासी जाति के लोगों पर इसका असर पड़ेगा। इन आदिवासी समुदायों पर इन जंगलों के कटने का क्या असर पड़ेगा इसका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव नहीं देखा गया है।
बांध के लिए 1978 और 1982 के बीच जमीन अधिग्रहित की गई थी। लेकिन तब से अब तक फंड की कमी कहकर यह बांध निर्माण रुका रहा। ऐसे में मुआवजे की रकम 2013 में आए नए ज़्ामीन अधिग्रहण विधेयक के अनुसार दी जानी चाहिए।