कनाडा ने अपने राष्ट्रगान से भेदभाव खत्म कर दिया है। कनाडा के सांसदों ने वोट द्वारा इस बदलाव को मंजूरी दे दी है। कनाडा के राष्ट्रगान ‘ओ कनाडा’ को 1980 में मान्यता मिली थी। राष्ट्रगान की एक पंक्ति में “पुत्रों की देशभक्ति’ शब्द का प्रयोग है, जिस पर 1980 से विवाद था। 30 साल से इस पंक्ति को बदलने की मांग की जा रही थी। मांग करने वालों का कहना था कि क्या देशभक्ति पुत्रों की होती है? पुत्रियों की नहीं?
1980 में ‘ओ कनाडा’ को राष्ट्रगान की मान्यता मिलने के बाद से ही बदलाव की बात होने लगी थी। 2013 में इस बदलाव की मांग ने ज़ोर पकड़ लिया। महिला कार्यकर्ता और मशहूर लेखिका मार्गेट एटवुड और पूर्व प्रधानमंत्री किम कैंपबेल ने बदलाव की मांग उठाई। इन दोनों के नेतृत्व में राष्ट्रगान के बदलाव के लिए आंदोलन भी चला। किम ने पीएम रहते हुए भी इसे देश की 18 करोड़ महिलाओं से जुड़ा मामला बताया। इसके बाद सीनेटर फ्रांसेस लैंकिन भी आंदोलन से जुड़ीं। फ्रांसेस बिल का समर्थन करने वाली पहली सीनेटर थीं।
इस एक पंक्ति को बदलने के लिए 11 विधेयक लाए गए, पर सब रद्द हो गए, क्योंकि कई सांसद राष्ट्रगान में बदलाव की मांग को गलत मानते थे। हालांकि अब ये 12वां विधेयक पास हो गया। जो विधेयक पास हुआ है, उसे 2016 में सीनेटर मॉरिल ब्लेंगर लाए थे। हालांकि लंबी बीमारी के बाद 2016 में मॉरिल ब्लेंगर की मौत हो गई। ये विधेयक 2016 में निचला सदन में पास हो गया था, लेकिन उच्च सदन में अटका था। 2016 से हर सत्र में इस पर बहस चल रही थी, जिसका परिणाम अब सामने आया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूड्यू ने इस बदलाव को देश के लिए अच्छा बताया।