जिला फैजाबाद, ब्लाक मया, गांव लक्ष्मनपुर। हिंआ कै पचास साल कै पिंकी पचास फिट ऊंचाई वाले पेड़ पै चढि़के खाना बनावै के ताई लकड़ी कै इन्तजाम करत रहिन। यसे पता चलाथै कि कउनौ भी काम मेहरारुन के ताई मुष्किल नाय बाय। जब मन मा हौंसला रहाथै तौ कउनौ काम मुष्किल नाय रहत।
पिंकी बताइन कि हमरे तीन छोट-छोट गेदहरै बाटे हम उनकै पालन पोषण मा कमी नाय राखै चाहित। जेसे हमरे गेदहरन पै हमरे गरीबी कै असर न पड़ै। राषन तौ कउनौ तरह जुटाय लियाजाथै लकिन लकड़ी के बिना खाना नाय बनि पावत। यसे काम तौ करहिन का परे। हमार इहै सोंच बाय कि आपन काम हम खुद करी। जेसे आदमियन का भी एहसास हुवय कि हम मेहरारु कउनौ क्षेत्र मा पीछे नाय हई। हर दुख कै सामना करै के ताई तैयार अहैं।
कउनौ काम नाय बाय मुष्किल
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