जिला वाराणसी, ब्लाक काशी विद्यापीठ, चोलापुर, गांव पिलखिनि, आउर ताला। हमनी काम पेट भराय खातिर करल जाला। लेकिन काम करे के बाद भी हमने के खाए के नाहीं मिल सकत हव। इ कहब हव ताला आउर पिलखिनि गांव के लोगन के।
ताला गांव के मजदूर मुर्ता देवी, मुनिया देवी के कहब हव कि इ गांव में नरेगा के तहत साल भर पहिले नाला खुदाए के काम भयल रहल। लेकिन मजदूरी अभहीं तक नाहीं मिलल। हमने कुल मजदूर मिलके एक महीना काम कइले हई। काम करत के समय तो हमने के इ भी नाहीं मालूम रहल कि हमने दुसरे गांव में काम करत हई। हम मजदूर लोगन के तो दू पइसा के लालच रहला कि काम करल जाइ त पइसा मिलि जबकि कुछ मिलत नजर नाहीं आवत हव। इ सब के बारे में जब हमने प्रधान से कहंले त प्र्रधान कहलन नाला क काम इ गांव ताला मे भयल हव जबकी इ काम दूसरे गावं बेला मे भयल हव ओकरे बाद चार महीना पहीले खेत मे समतलीकरण भयल हव जबकी मजदूरी पन्द्रह दिन क मिलल हव आउर पन्द्रह दिन क बाकी हव एकरे बारे मे पप्पू प्रधान के कहब हव की नाला के मजदूरी के लेके ब्लाक मे लेके गइली त वीडीयो क कहब हव की काम दूसरे गांव मे भयल हव त पइसा बेला के खाते मे आयेगा आउर खेत क समतलीकरण क पन्द्रह दिन क बाकी हव उहो मजदूरी जल्दी ही मिल जाइ।
त वहीं पिलखिनि के लालमनी, छेदीलाल, नदेसरा, कन्हैया समेत आउर कई मजदूर के कहब हव कि हमनी एक सप्ताह नरेगा में काम कइले हई लेकिन अभहीं तक मजदूरी नाहीं मिलल हव जबकि हमने के काम कइले दू महीना हो गएल हव। जब हमने प्रधान से कहल जाई त प्रधान कहियन कि अभही चेक नाही आएल हव। एकरे बारे में पिलखिनि गांव के प्रधान अशोक कन्नौजिया से पूछायल त ओनकर कहब हव कि पइसा आवे में थोड़ा देरी होत हव। जल्दी ही मिल जाई।
कइसे मिलि मजदूरी
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