जिला वाराणसी, ब्लाक चोलापुर गावं भवानीपुर बस्ती यादव। इहां पर ए. पी. एल. कार्ड पर खाली मिट्टी के तेल मिलला। ना तो हर तीन महीना में गेंहू मिलला। ना तो सब लोग के कार्ड हव। ना जाने कब बनी। सच्चो, सुमन, भूलदेई देवी के कहब हव कि हमने के पास मिट्टी के तेल वाला पीला कार्ड हव।
कुछ भी नहीं मिलता है। एक साल हो गया है। सिफ। दस किलो गेहूं मिला है। हमने के पास कउनों
सहारा नाहीं हव। हम गरीबन के नाम पर अमीरन के सुविधा मिलत हव। जेकरे पास चार बिघा जमीन हव ओकरे पास बी. पी. एल. कार्ड हव।प्रधान भोला के कहब हव कि हमके कुछ जयादा पता नाहीं हव। कहीं पर बहुत जरूरत रहला तब जाइला। हमार आदमी आउर हमार सास काम देखलन। जब राशन आवला तब मिलला। नया राशन कार्ड बनवावे खातिर के तीन चार बार लिख के दियायल लेकिन जब सरकार के तरफ से नाहीं मिलत हव त हमने का करल जाए।
खाद्य आपूर्ति विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी परवेज अख्तर के कहब हव कि सरकार के तरफ से एक साल में दू दू महीना पर ए. पी. एल. कार्ड पर पैतीस किलो मिलला। जैसे कि ए. पी. एल. कार्ड पांच सौ हव त गावं के प्रधान से पैतीस लोग के लिस्ट सरकार मंागी। गावं के प्रधान को चाही कि इ बात गावं में मीटिंग करके गावं वालन के बता दे। गावं वालन के इ ना लगे कि कुछ लोग के ए. पी. एल. पर राशन मिलत हव कुछ लोग के नाही। प्रधान अपने घर पर लिस्ट बना लेकिहयन गावं वालन के नाहीं मालूम चलत। एही से गावं वाल कहलन कि हमके राशन नाहीं मिलत।
कइसे कम होई राशन के घोटाला
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