उत्तर प्रदेष सरकार तो गांव गांव में शौचालय बनवाके सुरक्षा के इंतजाम तो कइले हव लेकिन इ योजना के कउनों सफल रूप आज तक ना देखायल। काहे से कि कउनों कउनों गांव अइसन हव कि उहां शौचालय के कउनों नामें निशान नाहीं हव। आउर अगर लेाग के पास शौचालय ना रही तो अइसे में लोग कहां जाई। मगर इ सच हव कि बनारस में अइसन कई गांव हव जहां शौचालय ना होवे से बहुत परेशानी के सामना करे के पड़अला। सरकार तो आर्डर देके निकल जाला। लेकिन जनता के मिलत हव कि नाहीं इ बात के के धियान देत हव। आखिर इ सब योजना से का होत हव। शौचालय ना होवे से गांव के लोग के रात आउर अंधियारा होवे के आसरा देखे के पड़अला। आदमी लोग के तो कुछ हद तक तो चल जाला। इ सब से तो मेहरारून के ज्यादा परेशानी उठावे के पड़अला। अइसने कुछ बनारस के गांव के हाल हव जवने में गोसाईपुर गांव के आस पास अगर कोई ठाकुर बाभन के खेत में अगर कोई चल जाई तो हाथे से शौच उठवा के फेकवइयन। एहिसे कुछ हाल काशी विद्यापीठ के सुरहीं ब्लाक अराजीलाइन्स के मिर्जामुराद के बंगलापर, जोगापुर ब्लाक चोलापुर के बेला समेत अउरों एहिसे कई गांव हव जहां शौचालय नाहीं हव। जब शौचालय नाहीं बन सकत हव तो अउरों का हो सकअला। आखिर इ सब समस्या से जूझात गांव में कब तक शौचालय बनी।
कइसन हव सरकार के योजना
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