उत्तर प्रदेश बुन्देल खण्ड के बांदा अउर चित्रकूट जिले हिंया कारवाही के नाम मा खाना पूर्ती करैं से औरतन अउर लड़कियन के साथैं होय वाली मारपीट, छेड़खानी, बलात्कार अउर दहेज हत्या जइसे के मामला दिनै दिन बढ़त जात हवै।
या बात का नकारा नहीं जा सकत हवै कि पुलिस सोच समझ के साथै कउनौ भी मामला मा कारवाही करत हवै। अब सवाल या उठत हवै कि या कउनतान के सोची समझी कारवाही आय। जेहिमा पुलिस का छेड़खानी, दहेज उत्पीड़न अउर बलात्कार जइसे के मामलन मा मारपीट गाली गलौज अउर चोरी जइसे के धारा लगावैं का परत हवै। या फेर समझौता करा के मामलन का रफा दफा कइ दीन जात हवै। एक कइती कानून कहत हवै कि दहेज हत्या, मारपीट, छेड़खानी अउर बलात्कार जइसे के मामलन मा कारवाही करैं खातिर औरतन के बयान ही काफी हवैं, पै दूसर कइती अगर इं मामलन के सच्चाई का देखा जाये तौ 2012 मा दिल्ली मा भे सामूहिक बलात्कार के बाद से औरतन के ऊपर होय वाली हिंसा घटै का नाम नहीं लेत आय। चाहे सरकार कइत से जेतने भी नवा कानून बनाये जाये। बुन्देलखण्ड मा बढ़त हिंसा के षिकार औरतन का देख के उत्तर प्रदेश सरकार भी गुजरात मा चलैं वाला 1090 हेल्फ लाइन नंबर का नियम लागू करिस हवै, पै का सरकार या कानून से औरतन साथै होय वाले अत्याचार मा काबू पाई? या फेर पुलिस विभाग के चक्कर लगावै मा बीत जात हवै। निपटारा समझ मा नहीं आय।
औरतन अउर लड़किन साथै होय वाली घटना काहे नहीं होत खतम
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