आराधना बींद एक लंबी दूरी की धावक हैं। बिना किसी प्रशिक्षण के उन्होंने इंदिरा मैराथन में कांस्य पदक जीता था। भारत में सफाईकर्मी के लिए भर्ती में वह 100 आवेदकों में शामिल थीं। वह 100 अन्य लोगों के साथ गलियों की सफाई कर रहीं थीं। उनका कहना है कि वह ओलिंपिक में भाग लेना चाहती हैं, जिसके लिए प्रॉपर डायट और किट की जरूरत है।
उपरदहा रिगदापुर की रहने वाली आराधना अपनी पांच बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों को 12,000 रुपये महीने की तनख्वाह मिलती है। इससे वह अपने बहनों को भी पढ़ा सकती हैं। आराधना बिना जूतों के पक्की सड़क पर दौड़ने का अभ्यास करती हैं। उन्होंने 3.28.10 समय में 42 किलोमीटर की मैराथन दौड़ पूरी की थी और इसके लिए उन्हें 75000 रुपये का इनाम मिला था। उन्होंने कहा, ‘मैराथन जीतने से नौकरी तो नहीं मिलती। मुझे देश की ओर से दौड़कर अपना सपना पूरा करना है। इसके लिए मुझे प्रॉपर डायट के साथ सामग्री और अभ्यास की भी जरूरत है। इसके लिए अगर मुझे लोगों का कूड़ा फेंकना पड़े तो कोई बात नहीं।’
आराधना के पिता फूलचंद को आँखों से दिखाई नहीं देता है। उनके पास तीन बीघे जमीन है जिसमें परिवार के लिए पर्याप्त अनाज भी नहीं होता है।
ओलिंपिक का सपना पूरा करने के लिए सफाई कर्मी बनना चाहती है दौड़ की धावक
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