आख़िरकार लिंग समानता और वेतन अंतर को समाप्त करने के लिए लड़ी जा रही मुहीम ने विजय प्राप्त कर ली। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) ने अपने खिलाड़ियों के लिए वेतन भुगतान का नया प्रस्ताव तैयार किया है जिसमें खासतौर पर महिला क्रिकेटरों को भारी भरकम वेतन हासिल होना तय है।
सीए ने अपने 20 वर्ष पुराने तय वेतन भुगतान के अनुबंध में बदलाव का फैसला किया है और नए प्रस्तावित भुगतान प्रस्ताव के तहत खिलाड़ियों के वेतन में भारी बढ़ोतरी होना तय है। इसमें महिला क्रिकेटरों को काफी फायदा होगा।
सीए ने जो 32.28 करोड़ डॉलर का प्रस्ताव तैयार किया है जिसमें मौजूदा पांच वर्ष के वेतन भुगतान मसौदे में पहले की तुलना में 35 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। सीए प्रमुख जेम्स सदरलैंड ने 21 मार्च को इसका प्रस्ताव दिया।
सीए ने कहा कि नए प्रस्ताव से अंतरराष्ट्रीय पुरुष खिलाड़यिों को बोनस, मैच फीस, घरेलू टी- 20 टूर्नामेंट का वेतन मिलेगा और वे 2021-22 के सत्र से प्रति वर्ष औसतन 14.5 लाख डॉलर कमाएंगे। नए समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटरों का वेतन इस वर्ष जुलाई में 79000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर से बढ़कर 179000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर पहुंच जाएगा। वहीँ, भारत में पुरुष और महिला खिलाड़ी के बीच लिंग असमानता के आधार पर वेतन का अंतर आसानी से देखा जा सकता है। जिसके कारण महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को कम वेतन पर भी अंतर्राष्ट्रीय खेल भी खेलना पड़ता है।
भारतीय पुरुष खिलाड़ीयों को प्रत्येक टेस्ट मैच के लिए सात लाख रुपए की राशि प्राप्त कर रहे हैं लेकिन महिला खिलाड़ियों को केवल एक लाख रुपए से संतुष्ट रहना पड़ता है और यह भी उन्हें एक मैच के लिए नहीं बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला के लिए मिलता है।
महिला टीम की मैनेजर विद्या यादव का कहना है, जब से हम बीसीसीआई के अंतर्गत खेलते हैं, खिलाड़ियों को प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला के लिए एक लाख रुपए मिलते हैं। यहां तक कि त्रिपुरा रणजी टीम के खिलाड़ियों को भी घरेलू प्रथम श्रेणी मैच की फीस के तौर पर 1.50 लाख रुपए मिलते हैं जबकि घरेलू एक दिवसीय मैचों के लिए 35,000 रुपए की राशि मिलती है।
महिलाओं के लिये घरेलू टूर्नामेंट में मिलने वाली मैच फीस के बारे में यादव ने कहा खिलाड़ियों को महंगाई भत्ते के अलावा प्रत्येक मैच के लिए 2500 रुपए मिलते हैं।