सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी को प्रसव पूर्व लिंग जांच के ऑनलाइन विज्ञापनों को हटाने के लिए सभी पक्षों से करने का निर्देश दिया है।
एक अंग्रेजी अख़बार के अनुसार, 13 दिसम्बर को शीर्ष अदालत ने कहा कि नोडल एजेंसी छह हफ्ते में गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसी इंटरनेट कंपनियों सहित सभी पक्षों से बात करे, ताकि ऑनलाइन प्रसव पूर्व लिंग जांच से जुड़े आपत्तिजनक लिखित चीजों को हटाया जा सके।
केंद्र सरकार ने ऑनलाइन से समय पूर्व लिंग जांच के विज्ञापनों और अन्य लिखित एंव विडियो सामग्री को हटाने के लिए इसी साल सितंबर में एक नोडल एजेंसी का गठन किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले अप्रैल में गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट को प्रसव पूर्व लिंग जांच संबंधी विज्ञापनों को रोकने का निर्देश दिया था। इसके साथ अदालत ने यह भी कहा था कि प्रसव पूर्व लिंग जांच के विज्ञापनों पर पाबंदी होनी चाहिए, लेकिन लिंग जांच संबंधी सारी सामग्री को रोकना खतरनाक होगा, क्योंकि यह जानने के अधिकार को सीमित कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता साबू जार्ज की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इसमें प्रसव पूर्व लिंग जांच से जुड़ी ऑनलाइन सामग्री पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की गई है, क्योंकि ऐसी जांच भारतीय कानून के तहत अवैध हैं।