भारत ने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनिशप में अपना दबदबा बनाते हुए 9 जुलाई तक 5 स्वर्ण पदक और जीत लिए। अब इस तरह से पदक तालिका में भारत ने शीर्ष रहकर इतिहास रच दिया। इसके बाद चीन दूसरे स्थान पर आ गया है।
भारत ने 5 स्वर्ण, 1 रजत और 3 कांस्य पदक जीते और इस तरह से कुल 29 पदकों (12 स्वर्ण, 5 रजत और 12 कांस्य) के साथ वह शीर्ष पर रहा।
भारत का इससे पहले एशियाई चैंपियनशिप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 22 पदक (10 स्वर्ण, 5 रजत और 7 कांस्य) था। चीन 8 स्वर्ण, 7 रजत और 5 कांस्य पदक लेकर दूसरे स्थान पर रहा।
जापान 1973 से 1981 तक पहली 5 चैंपियनशिप में शीर्ष पर रहा था। इसके बाद चीन का दबदबा शुरू हुआ जो 2 साल पहले वुहान तक रहा। भारत ने इस बार चीन का एकाधिकार समाप्त कर दिया। उसने हालांकि अगले महीने लंदन में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप को ध्यान में रखकर यहां दूसरी श्रेणी के एथलीटों को भेजा था।
भारत को हालांकि आखिरी दिन एक झटका भी लगा जब अर्चना अधव से श्रीलंका की निमाली वालिवर्षा कोंडा के विरोध के बाद महिलाओं की 800 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक छीन लिया गया और श्रीलंकाई एथलीट को चैंपियन घोषित कर दिया गया।
हेप्टाथलान में स्वप्ना बर्मन ने भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। बर्मन 7वीं और अंतिम स्पर्धा (800 मीटर) में चौथे स्थान पर आने के बावजूद स्वर्ण पदक जीता। उनके पास खिताब जीतने के लिए पर्याप्त अंक थे। बंगाल की इस 20 वर्षीय एथलीट ने 7 स्पर्धाओं में कुल 5942 अंक बनाए। वह 800 मीटर की दौड़ पूरी करने के तुरंत बाद गिर गई और उन्हें तुरंत चिकित्सा मुहैया कराई गई।
लक्ष्मणन गोविंदा ने पुरुषों की 10000 मीटर दौड़ 29 मिनट 55।87 सेकंड में पूरी करके स्वर्ण पदक जीता। एक अन्य भारतीय गोपी थोंकनाल दूसरे स्थान पर रहे। विश्व जूनियर रेकॉर्ड धारक नीरज चोपड़ा ने पुरुषों के भाला फेंक में अपने अंतिम प्रयास में 85।23 की दूरी तक भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता। देविंदर सिंह इस स्पर्धा में तीसरे स्थान पर रहे। भारत ने इसके बाद महिलाओं और पुरुषों की 4 गुणा 400 मीटर दौड़ भी जीती।