जिला बांदा, कस्बा नरैनी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र। हेंया 102 नम्बर एम्बुलेंस के ड्राइवर रविन्द्र कुमार अउर दीपक का तीन महीना से वेतन नहीं मिला आय। अगर गाड़ी खराब होइके ठाड़ी रही तौ वेतन भी काटी जात है।
दीपक बतावत है-“मैं 1 मई 2014 से 102 नंबर गाड़ी मा ड्यूटी करत हौं। पांच हजार पांच सौ रूपिया वेतन है, पै अगस्त 2014 से वेतन नहीं मिला आय। मैं राठ का रहैं वाला आहूं। हम लोगन का रहैं भर का सरकारी सुविधा अस्पताल मा मिली है। बाकी खाना, पीना अपने रुपिया से करत हन। अगर हमार यतने-यतने दिन वेतन रुका रही तौ खर्चा कसत चली। रविन्द्र कुमार कहत है कि मैं कानपुर का रहैं वाला आहूं। अप्रैल 2014 से ड्यूटी शुरू करे हौं। मोर वेतन आठ हजार पांच सौ रूपिया है। जुलाई से मोर वेतन नहीं मिला आय। दूसर बात अगर गाड़ी खराब होई जात है या फेर गाड़ी मा तेल न होय के कारन ठाढ़ रहत हैं तौ हमार वेतन कटत है। हम लोग वेतन खातिर जिले मा ई.एम.ई. से कहत हन, पै कउनौ सुनाई निहाय।“
बांदा जिला के ई.एम.ई. मोहम्मद सादिक खांन का कहब है कि अप्रैल 2014 से 102 नम्बर गाड़ी का बजट नहीं आवा आय। वेतन सबका समय से दीन जात है तौ इनका भी हर महीना मिलत है। गाड़ी अगर बिगड़ जात हैं या तेल भरावैं का भुगतान करैं का परत है तौ विभाग ही करत है।
एम्बुलेंस ड्राइवरन का रुका वेतन
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