स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि देश में 70 हजार करोड़ नगदी की कमी है। आर्थिक प्रगति के अनुरूप नकदी की कमी और ऑनलाइन लेनदेन न बढ़ने की वजह से नगदी को लेकर गलत अनुमान इस कमी के कारण हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च में लेनदेन के लिए 19.4 लाख करोड़ रुपए की नकदी होनी चाहिए, लेकिन असल में 17.5 लाख करोड़ रुपए की नकदी ही मौजूद थी। यानी नकदी की जरूरत और उपलब्धता में 1.9 लाख करोड़ रुपए का अंतर रहा।
वहीं, इस दौरान डिजिटल लेनदेन में खासी कमी दर्ज की गई। मार्च में 1.2 लाख करोड़ रुपए के डिजिटल लेनदेन हुए। यह आंकड़ा नोटबंदी के बाद के महीनों से भी कम रहा। कैश और डिजिटल लेनदेन की बीच यह फासला करीब 70 हजार करोड़ रुपए का रहा।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि बड़े मूल्य के नोटों के बजाय 200 और 50 रु. के नोटों की छपाई में तेजी लाई गई। इससे भी नोटों की किल्लत पैदा हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में इस वक्त नकदी का स्तर 17.84 लाख करोड़ रुपए है। यह नोटबंदी के वक्त से कहीं ज्यादा है।