मुंबई और विदेश में पढने के बाद नफीसा लोखंडवाला ने ओडिशा के गजपति जिले में भारत के सबसे दूरस्थ गांवों में से कोयोनपुर नाम के एक गांव में रहते हुए उसे बदलने का निर्णय लिया। इस बदलाव के लिए उन्होंने वहां के बच्चों को शिक्षित करना शुरू किया।
नफीसा ने सामाजिक कार्य की पढ़ाई की है, और इसी बीच, महाराष्ट्र के एक दूरस्थ गांव में दौरे के बाद उन्हें यह एहसास किया कि वह अपनी सारी जिंदगी यहीं काम करते हुए बिता सकती हैं।
नफीसा ने स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में ग्राम विकास के लिए काम करना चुना, और 2016 में वे कोयोनपुर गांव पहुंची और ग्राम विकास महेंद्र तान्या आश्रम विद्यालय के बच्चों को यहां शिक्षित करने का निर्णय लिया ताकि वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
पहले तीन महीनों में उन्होंने ओडिया भाषा सीखी। उसके बाद ग्रामीणों से जुड़कर उनकी समस्याओं को जाना। नफीसा गांव वालों से जुड़ने के लिए आसपास के सभी गांवों में भी गई।
अपने शोध में नफीसा को पता चला कि इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा जानलेवा बीमारी मलेरिया है। इसके बाद उन्होंने पांचवीं कक्षा के छात्रों का एक समूह बनाया और इस विषय पर एवं स्वास्थ्य से जुड़े अन्य विषयों पर नुक्कड़ नाटक करने शुरू किये। इसके लिए नफीसा ने डॉक्टरों से भी सहायता ली और बच्चों को इतना मुखर बनाया कि वह अभिनय के साथ-साथ गांव वालों को समझा सकें और उनके सवालों के जवाब भी दे सकें।
ऐसे जवान लोगों का ध्यान जब समाज सेवा पर केन्द्रित होता है, तब सामाजिक बदलाव की आशा भी बहुत बढ़ जाती है।