उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने गत 13 जनवरी को पडुई गांव जिला बांदा का दौरा किया। मुख्य सचिव के दौरे से पहले खबर लहरिया ने गांव का मुआयना किया था। इस लोहिया गांव को एक गहना की तरह चमकाया जा रहा था। नई सड़कें और शौचालय बनाये जा रहे थे, नालीयों की सफाई और बिजली के तार लगाए जा रहे थे। प्राथमिक स्कूल के चारदीवारी बनवाई गई, राशन कार्ड वितरित किया गया और सूखा पीडि़तों को राहत भी दिया गया था।
लगभग एक महीने बाद, 9 फरवरी को खबर लहरिया एक बार फिर पडुई गांव पहुंची। यह देखने कि क्या पडुई अभी भी चमक रहा हैं?
अफसोस! हमने पाया कि गांव का विकास मुख्य सचिव के साथ एक लहर की तरह आया और उनके साथ ही चला गया।
बिजली के मामले को ही देखिए। मुख्य सचिव के भ्रमण से चार दिन पहले बिजली के खंभे द्वारा प्रति दिन 18 घंटे बिजली मुहैया कराया गया। सचिव के जाने के बाद बिजली भी गांव छोड़कर चली गई। अब गांव में बिजली पुरे दिन में मुश्किल 18 मिनट मिलती हैं। बिजली के मीटर घरों में स्थापित किया हैं, लेकिन उनके तार बिजली के पोल से नहीं जुड़े हैं। स्कूल फिर से पुराने रूप में आ गया है। नए शौचालयों पर या तो ताले लगे हैं या इनके दरवाजे टूट गए हैं।
इसके अलावा खाद्य सुरक्षा के लागू करने पर बात करें तो, आलोक रंजन ने व्यक्तिगत रूप से पडुई के कुछ लोगों को राशन दिया। कोटेदार शिवराम यादव कहते हैं कि ‘‘प्रशासन अभी भी गांव में परिवार के सभी इकाइयों को राशन नहीं देता हैं। एक सर्वेक्षण के मुताबिक गांव में 3200 इकाइयां हैं। खाद्य सुरक्षा के तहत 1800 इकाइयों का अनाज और 1100 लीटर मिट्टी का तेल मुहैया कराते हैं। कैसे मैं बाकी के 1400 इकाइयों की आपूर्ति करू?‘‘
वार्ड सदस्य रमेश चंद्र वर्मा का कहना है कि पीने के पानी की समस्या गांव में अभी भी है। दौरे से पहले, सभी हैंडपंपो को काम के लायक बनाया था। लेकिन अब वह काम नहीं कर रहे हैं।
मुख्य सचिव ने अन्ना जानवर की हालत पर चिंता जताते हुए वादा किया कि चारा और भूसा की व्यवस्था करेंगे। अब तक प्रशासन ने कुछ नहीं किया है।
लेकिन गांव के नवल किशोर द्विवेदी ने लगभग 55 अन्ना जानवरों के लिए गांव में ही जमीन दी है। गांववालों ने पानी और चारे की व्यवस्था की हैं। मुख्य सचिव के दौरे ने पडुई के लोगों को एक बार फिर व्यग्र ही छोड़ दिया। क्यूं वो यहाँ आये थे? कब इनकी चिंताओं को वास्तव में संबोधित किया जाएगा?