उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के क्षेत्रों में फैला हुआ बुंदेलखंड आज अकाल की स्थिति में पहुंच गया है। देश भर के अखबारों में इसकी चर्चा सूखे और खेती पर बरसे कहर को ले कर हो रही है। साल 2015 से बुंदेलखंड का किसान दाने-दाने को मोहताज है। ओले, बे-मौसम बारिश के कारण ख़राब हुई फसल और सूखे के कारण बर्बाद हुई खरीफ की फसल के बाद बुंदेलखंड का किसान बदहाल हो चुका है।
लम्बे समय से सूखे की मार झेलते आ रहे किसानों पर इसका कितना प्रभाव पड़ा है इसकी जांच के लिए पांच संस्थाओं (संगतिन, वानंगना, हमसफ़र, एनएपीएम और खबर लहरिया) ने मिल कर चार जिलों का दौरा किया, जिसमे चित्रकूट, बांदा, महोबा और हमीरपुर शामिल थे। 17 मई से लेकर 19 मई तक इन संस्थाओं ने चार जिलों के पांच ब्लॉकों के गांवों में सूखे झेल रहे लोगों से ज़मीनी हकीकत जानने की कोशिश की।
इस जांच-पड़ताल से कुछ ज्वलंत मुद्दे निकलकर सामने आये हैं जो बुंदेलखंड के मौजूदा हालातों को बयान करते हैं। इनमें सबसे पहले है खाद्य सुरक्षा योजना के बिगड़े हालतों का सामने आना। इन चारों जिलों में कम-से-कम 30 प्रतिशत परिवार योजना के सुरक्षा कवच से अभी भी बाहर हैं। सरकार द्वारा बनायीं गयी अन्त्योदय और बाकी पात्रों की सूची में कई गलतियां देखने को मिलती हैं।
इन संस्थाओं ने गावों में मनरेगा और पानी की स्थिति का सर्वेक्षण भी किया। पढ़िए, इसी जांच के कुछ अंशः-
रिपोर्ट – खबर लहरिया ब्यूरो