भाजपा और यूपी के सीएम ने एक नए शब्द का इजाद किया, ‘ऐंटी रोमियो’। इस ऐंटी रोमियो के ज़माने में मंजूरी के साथ इश्क लड़ाना कोई आसान काम नहीं रहा। इसी बात को बयान करने के लिए सनत कदा और हमसफ़र जैसी कई प्रगतिशील संस्थाओं ने मिलकर लखनऊ के लोकप्रिय हजरतगंज जंक्शन पर एक प्रोग्राम आयोजित किया।
यह कार्यक्रम एंटी रोमियो के विरोध में था तो जायज़ है कि रोमांचक शब्दों का प्रयोग तो इन्हें भी करना होगा। इसलिए प्रोग्राम को नाम दिया गया ढाई आखर प्रेम के।
सदभावना ट्रस्ट से जुड़ी मीना कहती हैं, चाहे वो राधा-कृष्णा का प्रेम हो या हीर-राँझा का उस प्रेम को रोकने, उस पर पहरे लगाने का मतलब मुझे समझ नहीं आता। इसी वजह से हम सड़क पर उतरे हैं कि क्यों प्यार का विरोध हो रहा है। उन्हें यदि यह लगता है कि रोक लगाने से लोग प्यार करना छोड़ देंगे तो यह उनकी गलत सोच का नतीजा है। बल्कि लोग अब और आगे आयेंगे और प्यार के लिए संघर्ष करेंगे।
सिर्फ यही नहीं, ऐंटी रोमियो के आड़ में कई ऐसी घटनाएं हुई जो हम सभी ने यूपी के चप्पों चप्पों से सुनी। चाहे वो लखनऊ हो या बांदा हर क्षेत्र से इसके खिलाफ लोगों ने आवाज़ उठाई।
आपसी सहमती के साथ घुमते हुए लड़का-लड़की, मिया-बीवी, भाई-बहन, दोस्त, साथ पढने वाले, यहां तक कि कुछ एक साथ खड़ी लड़कियों पर भी पुलिस अधिकारियों ने एंटीरोमियो तहत जोर-ज़बरदस्ती की। इस मनमानी के चलते ही जनता का इस पर सवाल खड़े करना अब लाजमी हो जाता है।
हमसफ़र संस्था के साथ काम करने वाली रुबीना कहती हैं, हम महिलाओं के हितों के लिए काम करते हैं और इसलिए चाहते हैं कि कोई भी महिला प्रेम से अछूती न रह जाए। एंटीरोमियो का विरोध करना हमारी इसी मुहीम का नतीजा है।
सनदकदा की हिना बताती हैं, कि प्रेम करना गलत नहीं है। न ही उस पर पहरा लगाना सही है। हमारे कार्यक्रम द्वारा यही बात रखी गयी। एंटीरोमियो सड़क के आवारा, लड़कियों को परेशान करने वाले गुंडों की जगह शरीफ और प्रेमियों को जबरन परेशान कर रहा है और ह गलत है।
इन विचारों को एक प्यार का जश्न बनाकर ढाई आखर प्रेम के ने सबका खूब मनोरंजन किया। चुनिंदा गानों पर सभी ने साथ में डांस किया और कव्वाली भी सुनी।
इस आयोजन द्वारा, असली मुद्दे क्या हैं और सवाल किन मुद्दों पर उठाना चाहिए, जैसी बातों को एक अनोखे ढंग में पेश करने की कोशिश की गई।
रिपोर्टर- नसरीन
18/05/2017 को प्रकाशित