उड़ी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान में तनाव बढ़ गया है। जुबानी जंग जारी है और ऐसा लग रहा है कि हमला सिर्फ उड़ी में स्थित भारतीय सेना के कैंप पर नहीं हुआ है बल्कि मीडिया चैनलों पर भी हो गया है। विरोधी इसमें जम कर घायल हुए हैं और दोनों तरफ हाहाकर मचा हुआ हैं। लग रहा है कि अगर भारत ने युद्ध के लिए मन बदला तो देश में ही मीडिया चैनलों और विरोधियों के बीच पाकिस्तान और भारत का युद्ध हो जायेगा। ऐसे में बेचारी अख़बार और टीवी सुनने वाली जनता भ्रम में पड़ गयी है।
‘बदले’ का मंत्र लगभग सभी मीडिया चैनल जाप रहे हैं। इसी बीच, पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने इस्लामाबाद के ऊपर एफ़-16 विमान उड़ते देखे। ये विमान रोशनी के गोले फेंक रहे थे और इनसे तेज आवाजें आ रही थीं। हामिद मीर ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर दी, उसके बाद ही पाकिस्तान और भारत में मीडिया का युद्द शुरू हो गया। लगभग सभी चैनलों ने घुस-घुस कर मारने की तैयारी कर ली थी। जबकि सच्चाई यह थी कि रात के समय युद्ध अभ्यास किया जा रहा था। इधर सरकार और सेना से पहले भारत के ही एक बड़े मीडिया चैनल ने हमले का पूरा विश्लेषण करके कहा कि हमलावारों को पकिस्तान का समर्थन, पैसे और ट्रेनिंग मिली हुई थी, ‘अब आगे ये नहीं चलेगा, हमें बदला लेना होगा। संवाद का समय ख़त्म हो चुका है।
अब सवाल यह है कि इतने संवेदनशील मसले पर भी मीडिया के ऐसे भड़काऊ बयान क्यों आ रहे हैं? जोश में आकर लोग पाकिस्तान के खिलाफ सडकों पर उतर रहे हैं, पुतले जला रहे हैं, मोदी सरकार को हमले में अपना पूरा समर्थन देने के वादे कर रहे हैं। ऐसे मुश्किल हालातों में तथ्य देने की जगह मीडिया बदले की इस आग को और भड़का रही है जो सामाजिक और देशहित के विरुद्ध है।
उड़ी हमले के बाद मीडिया की बिगड़ती छवि
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