उत्तर प्रदेश और बिहार में लोकसभा की तीन सीटों पर करारी हार के बाद विपक्ष भी इस स्थिति को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है और अखिलेश और मायावती के बीच समझौते पर बातचीत करेंगे।
उपचुनावों में भाजपा को लगातार करारी हार हुई। विपक्ष इस हार को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का ट्रायल बोल रहा है। एक बार फिर महाराष्ट्र के दो और यूपी के कैराना में लोकसभा के उपचुनाव होने हैं। तीनों ही सीट पर भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। अब अगर भाजपा फिर से उपचुनावों वाला अपना इतिहास दोहराती है तो इसका सीधा असर आने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है।
यूपी के कैराना लोकसभा सीट से हुकुम सिंह ने भाजपा के टिकट पर 2014 में जीत हासिल की थी।
4 फरवरी 2018 को उनके निधन से इस सीट पर फिर से उपचुनाव होना है।
बता दें कि 2014 में मोदी लहर का यहाँ लाभ मिला, लेकिन जिस तरह से एक के बाद एक उपचुनावों से भाजपा अपनी सीट गंवा रही है उससे कैराना की लोकसभा सीट पर खतरा मंडराना तय है। इस सीट पर चौधरी अजीत सिंह की पार्टी का काफी असर दिखता है, हालांकि अजीत सिंह के अलावा किसी पार्टी ने अपना कार्यकाल लगातार नहीं दोहराया है।
उपचुनाव के बाद कैराना में बीजेपी को घेरने के लिए मायावती और अखिलेश करेंगे समझौते पर बातचीत
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