लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सात जिलों महोबा, सोनभद्र, कुशीनगर, गोंडा, संतकबीरनगर, मिर्जापुर और बलरामपुर में मनरेगा में 5000 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है।
साल 2011 से सी.बी.आई. इन जि़लों की जांच कर रही थी। हाई कोर्ट ने इन जि़लों में हुई धांधली को देखते हुए पूरे प्रदेश में मनरेगा योजना की जांच करने के आदेश सी.बी.आई.को दिए हैं। सात जिलों में हुए घोटाले में न सिर्फ बड़ी रकम का फर्जी भुगतान हुआ है बल्कि सामान की खरीद भी बाज़ार भाव से ऊंची कीमतों पर हुई है। घोटाले में टेंट, खिलौने, स्टेशनरी और औज़ार की खरीद में गड़बड़ी हुई। कई जगहों पर बिना काम कराए भुगतान भी ले लिया गया। अदालत ने जांच एजेंसी से कहा कि सभी जिलों से मनरेगा से जुड़े रिकॉर्ड अपने कब्ज़े में लें। क्योंकि देर होने पर रिकार्ड खत्म किए जा सकते हैं। सी.बी.आई. ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मायावती सरकार से लेकर अब तक हुए मनरेगा के कामों का पूरा ब्यौरा संभालकर रखने को कहा है। जिससे सी.बी.आई. सारे रिकार्ड ले सके।
जांच में तीन दर्जन से ज़्यादा आइ.ए.एस. और सौ पी.सी.एस. अधिकारी आरोपी हैं। सी.बी.आई. का अंदाज़ा है कि पूरे प्रदेश के 75 जि़लों में 50 हजार करोड़ रुपए का घोटाला जांच के बाद सामने आ सकता है। घोटाले के समय मुख्यमंत्री रही मायावती, ग्राम्य विकास मंत्री दद्दू प्रसाद और कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान मंत्री राजपाल त्यागी थे। इसलिए इनसे भी पूछताछ होगी।
उत्तर प्रदेश में मनरेगा घोटाला
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