जिला वाराणसी, ब्लाक हरहुआ, गावं उदयपुर राजभर बस्ती। इहां लगभग सात घर में ना तो आवास हव, ना तो जॉब कार्ड हव, ना तो बी. पी. एल. कार्ड हव। ए. पी. एल. कार्ड हव भी त ओपर ढाई लीटर के जगह दू लीटर मिलत हव। आखिर कइसे कटी एन लोगन के दिन।
इहां के राजपति, शंकर, हीरालाल के कहब हव कि हमने के पास जॉब कार्ड नाहीं हव कि हमने भी मनरेगा में काम करल जाए। जब जॉब कार्ड बनवावे खातिर प्रधान से कहल जाई त कहियन कि पइसा देबा त बनी। हमने के पास पीला कार्ड हव ओपे खाली दू लीटर मिट्टी के तेल मिलत हव। चार महीना में एक बार गेंहू मिल जाला। आवास खातिर कहल जाई त कहियन कि आवास नाहीं आवत हव।
गावं वालन के इ समस्या के बारे में प्रधान माधुरी कन्नौजिया के कहब हव कि पूर्व प्रधानी से दू लीटर मिलत हव। जॉब कार्ड बने में पइसा नाहीं लगत। ए. डी. ओ. कोआपरेटिव अवधेश कुमार सिंह के कहब हव कि जॉब कार्ड बनवावे के पइसा नाहीं लगत। हमरे पास अभहीं तक गावं आउर प्रधान से कउनों शिकायत नाहीं आएल हव। लेकिन जेकर जॉब कार्ड नाहीं बनल हव उ सीधे ब्लाक पर फार्म भर के जमा करके एक दिन में जॉब कार्ड बनवा सकला। नियम के अनुसार मिट्टी के तेल ढाई लीटर मिले के चाही। अगर कोई नियम नाहीं मानत त ओकर शिकायत ब्लाक में करे के चाही। अगली बार से हम अपने इहां से कोई के जांच खातिर के भेज देब। चन्दापुर संपर्क मार्ग से पाठशाला तक कच्चा काम खातिर के एक लाख से ज्यादा के बजट पास हो गएल हव। जल्दी ही काम शुरू होवे के उम्मीद हव।
इहां ना आवास, ना काम, ना राशन
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