शायद तेंदू के फल का नाम सुनकर लोग यह जानना चाहते होंगे कि आखिर यह कौन सा फल है।
तेदूं गर्मी के समय मार्च और अप्रैल के महीने में आता है। यह फल जंगली इलाकों में पाया जाता है। इसको देखने और खाने के लिए लोग साल भर इंतजार करते हैं। नाम तो साधारण है लेकिन वास्तव में बहुत ही मजे़दार होता है।
तेंदू का फल जब कच्चा रहता है तो उसे तोड़कर बीज निकाल दिए जाते हैं। फिर पत्थर पर घिसकर बीज को साफ करते हैं। बीज सफेद हो जाता है। इसको दूध में डालकर खीर बनाते हंै। यह खाने में साबूदाने के खीर से भी ज़्यादा स्वादिष्ट होती है। तो लोगों अपनी जीभ थाम कर इस खबर को पढ़ें, कहीं लार न टपक जाये। फल तो फल तेंदू के पत्तांे से बीड़ी भी बनती है।
चित्रकूट जिला, ब्लाक मानिकपुर, में जंगली इलाका बहुत है। यहां हर जगह तेदूं के पेड़ दिखते हैं। उनमें लगे पीले-पीले तेदूं के फलों को देख लोग अपने को रोक नहीं पाते। कर्वी की उर्मिला मध्य प्रदेष के सतना जिला के जंगल से लाती ये फल लाती हैं। फिर दिन में 20 रुपये किलो के हिसाब से बेचती हंै। दिन भर में 20 से 50 किलो तक फल बिक जाता है। कुछ लोगों का कहना है कि जो फल पहले सेत में खाने को मिलता था आज उसे खरीद के खाना पड़ता है।
इस मौसम बनाएं एक नई खीर
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