मणिपुर। चैदह साल से उत्तर पूर्व राज्य के मणिपुर में ‘सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून’ (आफ्सपा) के खिलाफ भूख हड़ताल कर रही इरोम शर्मीला को एक बार फिर गिरफ़्तार कर लिया गया।
20 अगस्त को मणिपुर की अदालत ने इन्हें छोड़ने का आदेश दिया था। जिस ठोस तर्क के साथ अदालत ने यह आदेश दिया था उससे लग रहा था कि अब पक्के तौर पर इरोम आज़ाद हैं। अदालत ने कहा था कि महात्मा गांधी ने भी स्वतंत्रता आंदोलन में भूख हड़ताल की थी। न्याय के लिए लड़ने का भूख हड़ताल एक शांतिपूर्ण तरीका है। लेकिन 22 अगस्त को उनके घर से फिर गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर वही पुराना आरोप लगाया गया है कि वह खाना नहीं खा रहीं थीं। ऐसा करना आत्महत्या की कोशिश जैसे अपराध के दायरे में आता है। मणिपुर के अतिरिक्त महानिदेशक संतोष माचरेला ने कहा कोर्ट ने उन्हें पिछले मामले में रिहा किया था। लेकिन वह अब भी कुछ खाने से मना कर रहीं हैं तो उन्हें दोबारा गिरफ़्तार करना पड़ा।
क्या है यह कानून
कानून के तहत सेना को ऐसे अधिकार दिए गए हैं जिसमें वह संदेह के आधार पर किसी को भी गोली मार सकती है। बिना वारेंट किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है। अब तक कई लोगों की जाने जा चुकी हैं। इस कानून के खिलाफ लड़ रही औरतों के साथ बलात्कार और हिंसा के मामले सामने आए हैं।