सरकार हर गांव ओर शहर में सुविधा तो देत हे पे ऊ नाम ओर देखे बस खा होत हे। जीमें लाखो को बजट खर्च कर इमारत बना के तैयार कर दई हे पे ऊखो न उपयोग होत हे ओर न ही आदमियन खा सुविधा। आदमियन खा जेसे के तेसे भटकने परत हे।
हम बात करत हे महोबा जिला के जिते हर ग्राम सभा में पंचायत घर बनो हे। जीमें हर तीन महिना में खुली मीटिंग होंय को नियम हे। पे ओते कर्मचारी न होंय के कारन तीन महिना तो का साल भर में भी मीटिंग नईं होत हे। पंचायत भवन जंगल में झोपड़ी ओर कबाड़ बन के रह गये हे। जीमें आदमी ऊखो दुरप्रयोग करत हे। आज तक ईखो जिले मे बेठे जिम्मेंदार सरकारी कर्मचारियन के एते कोनऊ डेटा नइयां की एक ग्रामसभा में कित्ती मीटिंग भई। जा तीन महिना में होंय वाली मीटिंग को नियम कागजन में चढ़ के रह गओ।
जभे की गांव के आदमी कहत हे कि सरकारी आवास होंय के बाद भी ऊखो उपयोग नईं होत हे, कोनऊ कर्मचारी जा अधिकारी प्रधान के घर में बेठ कर आपस में मींटिग करत हे। जीसे कोनऊ भी योजना की जानकारी आदमियन खा नई होत हे।
अब सवाल जा उठत हे अगर बजट खर्च भओ हे पंचायत भवन बनो हे तो ऊखो उपयोग होंय खा चाही?
जीसे जनता खा लाभ मिल सके। काय से कोनऊ भी काम के बाद गांव के आदमियन ने आपस में विवाद होंय की शंका रहत हे। उदाहरण-लेखपाल ने जोन सूखा घोषित ओर ओलावृष्टि की चेक गांव में ही कछू आदमियन के घर में बेठ के बांटी गई हती जिससे बोहतई घपलाबाजी ओर घूसखोरी के मामला सामने आये हे।
जा समस्या दूर करें खे लाने सरकार खा ई बातन में ध्यान देय खा चाही? हर महिना ईखी जानकारी अपने कर्मचारियन से ले खा चाही?