शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन के चुनाव से नाखुश समुदाय की औरतें अब भी हड़ताल पर हैं। कोर्ट के आदेश पर इमामबाड़ों पर लगाए गए ताले तो हट गए पर प्रशासन और सरकार ने समुदाय की मांगों पर दोबारा चुप्पी साध ली है।
लखनऊ। शहर के सबसे मशहूर ऐतिहासिक स्थल छोटे इमामबाड़े से 29 जून को ताला हटा। दोनों इमामबाड़ों पर 5 जून से ताला लगा था। वजह थी – शिया वक्फ बोर्ड के जिस चेयरमैन को नियुक्त किया गया है, वे शिया समुदाय के लोगों को स्वीकार नहीं हैं।
छोटे इमामबाड़े पर शिया समुदाय की कुछ महिलाएं 27 मई से ही हड़ताल पर हैं। कोर्ट के आदेश का मान रखते हुए 27 जून को बड़े इमामबाड़े से ताला हटा था। लेकिन लोग अब भी हड़ताल पर बैठे हैं।
शबी फातिमा ने बताया कि इस समय बने चेयरमैन वसीम रिज़्ावी पहले भी इस पद पर रह चुके हैं। समुदाय में माना जाता है कि उस समय उन्होंने करोड़ों की सामुदायिक सम्पत्ति बेच दी थी। हड़ताल पर बैठी ज़्ारीना और कायमी बेगम के अनुसार एक गलत व्यक्ति को शिया समुदाय की जि़्ाम्मेदारी दे दी गई है।
इन औरतों का कहना है कि उन्होंने कोर्ट के फैसले का मान रखने के लिए ताला तो खोल दिया है लेकिन जब तक वसीम रिज़्ावी को चेयरमैन के पद से हटाया नहीं गया और उनके कारनामे की सी.बी.आई. जांच नहीं हुई तब तक हड़ताल जारी रहेगी और हो सकता है कि दोबारा इमामबाड़ों पर ताले लग जाएं।