या समय कडाके के ठण्डी लोगन का घर अउर रजाई के अंदर रहैं के बाद भी जिना हराम करे है, तौ बाहर आवैं जाये अउर परदेश कमाय वालेन का, का हाल होई। अगर देखा जाय तौ लगभग 15 दिन से परैं वाली या ठण्डी बांदा अउर चित्रकूट जिले मा कइयौ लोगन के जान लई चुकी है। जब कि शासन कइत से अलाव जलवावैं के व्यावस्था का लइके हर साल ठण्डी के समय कडो़रन रूपिया खर्च कीन जात है।
अब सवाल या उठत है कि अगर यहिनतान बराबर ठण्डी का मौसम रहा तौ ज्यादातर गरीब, असहाय बूढ़ बाढ़ लोगन का शासन कइत से इतनी सुविधा मिलै के बाद भी ठण्डी काटब बहुतै मुश्किल होई।
जउन कि पूरी ठण्डी उंई लोग घास फुस जला के आगी के सहारे ही काट पावत हैं। उनके घर मा ओढ़ैं दसावैं के ज्यादा अच्ही व्यावस्थाा नहीं रहत आय। जब कि ठण्डी आवैं से पहिले ही सरकार लोगन का ठण्डी से बचावैं खातिर कपड़ा अउर लकडि़यन के व्यवस्था कइके हर चैराहन मा आलाव जलवावैं के व्यावस्था करा देत है अउर गरीबन का कम्बल के व्यावस्था भी करत है। जेहिसे लोगन का राहत मिल सकै। काहे से या समय ठण्डी का पारा रोज का रोज बढ़तै ही जात है।
इनतान के गलन भरी ठण्डी से लोगन का जीना हराम
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